क्या ग्वालियर की सियासी पिच पर फिर होगी सिंधिया की वापसी? बीजेपी नेताओं में बढ़ी टेंशन
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ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो कभी मध्य प्रदेश की राजनीति का महत्वपूर्ण चेहरा थे, पिछले कुछ समय से दिल्ली में केंद्रित हो गए थे। केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने लोकप्रियता हासिल की, लेकिन मध्य प्रदेश से दूरी बनाने के कारण राज्य में उनकी सियासी जमीन कमजोर पड़ने लगी थी।

सिंधिया ने शायद यह बात भांप ली और एक बार फिर राज्य में वापसी की है। सोमवार को ग्वालियर कलेक्टोरेट में शहर के विकास कार्यों की समीक्षा हुई। इस बैठक के मुख्य आकर्षण ज्योतिरादित्य सिंधिया ही थे। इस कारण यह सवाल उठना स्वाभाविक था कि सिंधिया ग्वालियर क्यों आए हैं?

सिंधिया के दौरे पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि वे केंद्रीय मंत्री हैं और मध्य प्रदेश की गुना-शिवपुरी सीट से सांसद हैं। ऐसे में ग्वालियर के विकास कार्यों की समीक्षा में उनकी भूमिका क्या है? यह सवाल बीजेपी के भीतर ही उठ रहा है। सिंधिया की बैठक में ग्वालियर के सांसद भरत सिंह कुशवाहा की खाली कुर्सी इसका प्रमाण है।

हालांकि, मध्य प्रदेश बीजेपी में ही सिंधिया की वापसी को लेकर नेताओं के अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं। ग्वालियर के सांसद भरत सिंह कुशवाहा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सिंधिया गुना-शिवपुरी के सांसद हैं, ग्वालियर के नहीं।

ग्वालियर हमेशा से सिंधिया का गढ़ रहा है। ऐसे में ग्वालियर में सिंधिया की एंट्री महज एक संयोग नहीं है। खबरों के अनुसार, सीएम मोहन भागवत सहित केंद्रीय नेतृत्व ने सिंधिया को ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में फिर से अपना प्रभुत्व स्थापित करने का आदेश दिया है। इसी कड़ी में सिंधिया ने फिर अपने गढ़ पर धावा बोल दिया है।

सिंधिया के समर्थक माने जाने वाले एमपी के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने मंत्रिमंडल की बैठक में कहा था कि ग्वालियर नरक में तब्दील हो चुका है।

ग्वालियर में सिंधिया के कमबैक से मध्य प्रदेश में बीजेपी दो गुटों में बंटती नजर आ रही है। सिंधिया की समीक्षा से 3 दिन पहले ही सांसद भरत कुशवाहा ने भी शहर के विकास कार्यों पर बैठक बुलाई थी।

एक समय था, जब सिंधिया कांग्रेस सरकार का हिस्सा थे और उनकी मर्जी के बिना ग्वालियर में एक पत्ता तक नहीं हिलता था। सोमवार को सिंधिया ने फिर से बैठक की। बीजेपी सांसद के रूप में ग्वालियर कलेक्टोरेट में यह सिंधिया की पहली बैठक थी। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि ग्वालियर में महाराजा युग फिर से वापस आ सकता है।

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