देहरादून में रात को बादल फटने की घटना के बाद हालात बाढ़ जैसे हो गए हैं। स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जो लोग आसपास घूमने की योजना बना रहे हैं, वे यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि कहां जाना सुरक्षित है और कहां नहीं।
बादल फटने के बाद राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी है। यदि आप रास्ते में हैं या उत्तराखंड घूमने के लिए निकल चुके हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है। वीकेंड पर घूमने की योजना बना रहे लोगों को भी उत्तराखंड की कुछ जगहों पर जाने से फिलहाल बचना चाहिए।
देहरादून के आस-पास कहां जाना सुरक्षित नहीं है?
ऋषिकेश में चंद्रभागा नदी: यदि आप छोटे बच्चों के साथ ऋषिकेश घूमने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ दिन रुकना बेहतर होगा। बादल फटने के बाद चंद्रभागा नदी में जलस्तर बढ़ गया है। नदी का पानी राजमार्ग तक पहुँच गया है। कुछ लोग पानी में फंस गए थे, जिन्हें एसडीआरएफ की टीम ने बचाया। मौसम विभाग की जानकारी और समाचार अपडेट देखने के बाद ही यहां आएं।
मालदेवता: बादल फटने के बाद सहस्त्रधारा से मालदेवता तक तबाही का मंजर देखने को मिला है। मालदेवता में सौंग नदी का जलस्तर इतना ज्यादा बढ़ गया है कि दृश्य डरावना है। इस समय यहां घूमना खतरे से खाली नहीं है। मालदेवता और टिहरी जाने वाला मार्ग भी पानी में बह गया है, इसलिए अपनी गाड़ी से जाने पर रास्ते में फंस सकते हैं।
टपकेश्वर मंदिर: बादल फटने के बाद टपकेश्वर मंदिर भी पानी में डूब गया है। दर्शन के लिए यहां आना अभी सुरक्षित नहीं है। पानी का बहाव बहुत तेज है, इसलिए लोगों को पानी के पास जाने से मना किया जा रहा है।
हरिद्वार-ऋषिकेश को जोड़ने वाला पुल: यदि आप हरिद्वार-ऋषिकेश के रास्ते से आगे यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको परेशानी हो सकती है। लगातार बारिश के कारण देहरादून-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर फन वैली और उत्तराखंड डेंटल कॉलेज के पास का पुल टूट गया है।
सहस्त्रधारा: देहरादून से लगभग 16 किलोमीटर दूर सहस्त्रधारा स्थित है, जो पर्यटकों के पसंदीदा स्थानों में से एक है। बादल फटने के बाद यहां सड़कें ही नहीं टूटीं, बल्कि कई दुकानें भी बह गईं। इसलिए इन रास्तों से होते हुए आगे जाना अभी मुश्किल हो सकता है।
*#WATCH | Uttarakhand | Tamsa river in spate and Tapkeshwar Mahadev temple inundated as heavy rainfall lashes Dehradun.
— ANI (@ANI) September 16, 2025
Temple priest Acharya Bipin Joshi says, The river started flowing heavily since 5 AM, the entire temple premises were submerged... This kind of situation had… pic.twitter.com/4E6PhKBM6K
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