अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप किसी देश पर बड़ी बारूदी स्ट्राइक की तैयारी कर रहे हैं। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी एयरफोर्स के लिए अगली पीढ़ी के बंकर बस्टर बम बनाए जा रहे हैं, जो मौजूदा GBU-57 बंकर बस्टर बम से ज्यादा घातक होंगे। इसके लिए ARA नामक कंपनी को ठेका दिया गया है। एक साल में कंपनी पहला प्रोटोटाइप तैयार कर लेगी, जिसके बाद निर्माण शुरू होगा।
सामरिक हलकों में माना जा रहा है कि नए बंकर बस्टर बम GBU-57 से हल्के और बेहतर बंकर भेदने की क्षमता वाले होंगे। सवाल उठता है कि जब अमेरिका के पास GBU-57 जैसे बम हैं, तो नए बमों की आवश्यकता क्यों पड़ी?
अमेरिका के बंकर बस्टर बम पिछली बार 22 जून 2025 को सुर्खियों में आए थे, जब इजरायल और ईरान के टकराव के बीच अमेरिकी वायुसेना ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। GBU-57 बमों से ईरान के फोर्दो, नतांज और एसफहान परमाणु रिएक्टरों को नुकसान पहुंचाया गया।
यह पहली बार था जब अमेरिकी वायुसेना ने GBU-57 बमों का युद्ध में इस्तेमाल किया। अब इसी बम का उन्नत संस्करण तैयार किया जा रहा है। सवाल है कि एक बार इस्तेमाल के बाद अमेरिका अगली पीढ़ी के बम क्यों बना रहा है?
इसका पहला उत्तर GBU-57 की सीमित क्षमता है, जो ईरान के ऑपरेशन में देखी गई। ईरान के परमाणु अड्डों को नुकसान तो पहुंचा, वे पूरी तरह नष्ट नहीं हो पाए। ईरान ने अपने परमाणु अड्डों को जमीन में तीन मंजिल नीचे तक बनाया था। GBU-57 बम सतह पर फटने के बाद तहखानों के ऊपरी हिस्से को ही नुकसान पहुंचा पाया, निचले तहखानों में रखे संवर्धित यूरेनियम और मशीनरी सुरक्षित बच गई। इसी कमी को देखते हुए सुपर बंकर बस्टर बम का कॉन्ट्रेक्ट दिया गया है।
अगली पीढ़ी के सुपर बंकर बस्टर बम को नई तकनीक से लैस किया जाएगा। जब यह बम किसी इमारत पर गिरकर पहला धमाका करेगा, तो फ्यूज़ निचली सतह के उन हिस्सों को पहचान लेगा जहां ज्यादा नुकसान हुआ है। फिर दूसरा वॉरहेड उसी कमजोर हिस्से पर गिरेगा, जिससे ढाँचे को नुकसान होने की संभावना बढ़ जाएगी।
हालांकि कंपनी ने प्रोजेक्ट से जुड़ी अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक GBU-57 बम का वजन लगभग 13 हजार 600 किलोग्राम होता है, जबकि नए सुपर बंकर बस्टर बम का वजन लगभग 9 हजार किलोग्राम होगा। भारी वजन के कारण एक B-2 बॉम्बर पर सिर्फ 2 GBU-57 बम लोड किए जा सकते थे, लेकिन हल्के होने के कारण सुपर बंकर बस्टर बम की चार यूनिट एक बमवर्षक पर लोड की जा सकेंगी।
अब तक इस्तेमाल होने वाला GBU-57 बम GPS गाइडेंस पर आधारित है, लेकिन सुपर बंकर बस्टर को लेकर दावा है कि यह बम गाइडेंस किट से भी दागा जा सकेगा, जिससे पायलट को टारगेट के अधिक करीब नहीं जाना पड़ेगा।
ईरान पर पहले ही बम गिराए जा चुके हैं, और अब ट्रंप के सामने एक ही मुद्दा बचता है: किम जोंग का उत्तर कोरिया। चीन की विक्ट्री डे परेड में किम जोंग उन की मौजूदगी से ट्रंप नाराज थे। उन्होंने कहा था कि पुतिन और चीन के साथ मिलकर किम जोंग अमेरिका विरोधी साजिशें कर रहा है। क्या यह माना जा सकता है कि ट्रंप के सुपर बम का लक्ष्य किम जोंग उन के परमाणु अड्डे हैं? जिस किम जोंग के साथ पहले कार्यकाल में ट्रंप ने हाथ मिलाया था, वही किम जोंग ट्रंप का अगला शिकार बनने जा रहा है?
DNA : बंकर बस्टर बम का बाप आ रहा है.. ट्रंप के सुपर बम का DNA टेस्ट #DNA #DonaldTrump #Politics #India #America | @pratyushkkhare pic.twitter.com/6X404B5m4L
— Zee News (@ZeeNews) September 13, 2025
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