नेपाल में तख्तापलट के बाद हाहाकार: 18 जेलों से 13 हजार से ज्यादा कैदी फरार!
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नेपाल में तख्तापलट के बाद स्थिति गंभीर बनी हुई है। संसद से लेकर सर्वोच्च अदालत और सचिवालय से लेकर सरकारी इमारतें आग में जलकर खाक हो गई हैं।

तख्तापलट के बाद एक नया संकट सामने आया है। आंदोलन की आड़ में अराजकता का फायदा उठाकर जेलों पर आक्रमण किया गया है।

ताजा जानकारी के अनुसार नेपाल की 18 जेलों से 13 हजार 572 कैदी फरार हो गए हैं। इनमें हत्या, बलात्कार, और आतंकवादी जैसे अपराधों में शामिल लोग भी शामिल हैं।

नेपाल में सेना का शासन है। तख्तापलट के बाद सेना ने सत्ता संभाली है।

इस बीच, जेन जी नेताओं ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल से मुलाकात की और पांच मांगें रखीं:

  1. एक निष्पक्ष, निर्विवाद और सर्वमान्य व्यक्ति के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया जाए। वर्तमान संसद में मौजूद दलों को शामिल न किया जाए, लेकिन जेन जी नेताओं को शामिल किया जाए।
  2. राजनीतिक स्थिरता के लिए छह महीने के अंदर चुनाव करवाए जाएं।
  3. 1989 के बाद से बने हर सांसद और सरकारी अधिकारी की संपत्ति की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जाए।
  4. भविष्य में देश का मार्गदर्शन करने के लिए एक उच्च स्तरीय, सर्वदलीय और नागरिक नेतृत्व वाली व्यवस्था बनाई जानी चाहिए।
  5. राष्ट्रीय धरोहर और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाली साजिश का पर्दाफाश करने के लिए एक निष्पक्ष आयोग का गठन किया जाए।

सत्ता की कमान कौन संभालेगा, इस पर जेन जी आंदोलनकारियों ने एक वर्चुअल बैठक बुलाई। बैठक में 8000 युवाओं ने भाग लिया और अगले प्रधानमंत्री के नाम पर चर्चा हुई।

बैठक में दो नाम प्रमुख थे: बालेन शाह और नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की। कार्की को 2,500 लोगों का समर्थन मिला।

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश हैं। वे भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने अंतरिम प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी संभालने के लिए सहमति दे दी है।

वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली कहां हैं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। उन्हें आखिरी बार सेना के हेलीकॉप्टर में सवार होकर भागते हुए देखा गया था। हालांकि, कुछ नेपाली अखबारों का दावा है कि उन्हें सेना ने किसी छावनी में छिपा रखा है।

ओली ने जेन जी के नाम एक पत्र लिखा है और युवाओं से देश की व्यवस्था को बचाने के प्रति संवेदनशील रहने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि आंदोलन के दौरान हुई हिंसक घटनाएं जेन जी के मासूम हाथों से नहीं हुई हैं, बल्कि इसके पीछे गहरी साजिश है।

नेपाल में सरकार बनने के बाद भी वह कहां से चलेगी, यह एक बड़ा सवाल है। संसद भवन आग में जलकर खाक हो गया है।

जेन जी ने भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की है। लेकिन, जांच में दोषी पाए गए लोगों को सजा कौन सुनाएगा? क्योंकि सर्वोच्च अदालत समेत कई कोर्ट्स को आग के हवाले कर दिया गया है।

काठमांडू में कल की आग के बाद चारों तरफ राख बिखरी पड़ी है। कई जगहों पर हिंसा जारी है, जिससे लोगों को रेस्क्यू करने के लिए सेना को उतरना पड़ा है।

लेकिन सबसे ज्यादा चिंताजनक है नेपाल की जेलों पर हमला। 18 जेलों से 13 हजार से ज्यादा कैदी भाग निकले हैं, जिनमें हत्या, बलात्कार और आतंकवादी जैसे अपराधों में शामिल लोग भी शामिल हैं।

नेपाल में जेल ब्रेक की घटनाओं के पीछे तीन पहलू हो सकते हैं: आंदोलन का साइड इफेक्ट, राजनीतिक साजिश और आंदोलन की आड़ में एक्टिव गैंग्स।

भारत-नेपाल की सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

नेपाल में तख्तापलट के बाद कई समस्याएं खड़ी हो गई हैं। नेपाल का भविष्य क्या होगा, इस पर जेल ब्रेक से बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

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