नेपाल: तीन घोटालों ने चिंगारी को ज्वालामुखी में बदला, सत्ता परिवर्तन
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नेपाल में सोमवार और मंगलवार को जेन-जी प्रदर्शन के नाम पर भारी बवाल हुआ। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के कारण शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन मंगलवार को और उग्र हो गया। युवाओं ने संसद, सुप्रीम कोर्ट, सिंह दरबार में आग लगा दी, पूर्व प्रधानमंत्री और कई मंत्रियों के साथ मारपीट की गई। केपी शर्मा ओली को पद से इस्तीफा देना पड़ा।

सिर्फ 48 घंटों में नेपाल में सत्ता परिवर्तन हो गया। सभी हैरान थे कि माउंट एवरेस्ट वाला देश अचानक ज्वालामुखी की तरह क्यों भड़क उठा।

यह एक दिन में लगी आग नहीं थी, बल्कि पिछले 17 वर्षों से सुलग रही चिंगारी थी। इस दौरान तीन बड़े घोटाले हुए जिन्होंने आग को और भड़का दिया।

पिछले एक दशक में नेपाल ने तीन ऐसे बड़े घोटाले देखे जिन्होंने आम आदमी को प्रभावित किया: गिरी बंधु एस्टेट स्कैम, ओरिएंटल को-ऑपरेटिव घोटाला और को-ऑपरेटिव स्कैम।

लोगों का कहना है कि इन घोटालों के माध्यम से मंत्रियों और राजनेताओं ने करदाताओं का पैसा हड़प लिया। इन घटनाओं ने नेपाल के वित्तीय सिस्टम में विश्वास की नींव हिला दी है। हजारों परिवार बर्बाद हो गए हैं और कई अभी भी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं।

जनवरी 2020 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भूमि प्रबंधन अधिनियम 1964 में आठवां संशोधन लागू किया। इस संशोधन के तहत कंपनियों को एक निश्चित सीमा से अधिक भूमि को हस्तांतरित करने, बदलने या देनदारियों को चुकाने के लिए भुगतान की मंजूरी मिल गई।

तत्कालीन काठमांडू मेयर बालेंद्र शाह और कई आलोचकों ने इसे नीतिगत भ्रष्टाचार कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कानून गिरि बंधु एस्टेट को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था।

कहा जाता है कि इस घोटाले में 51 बीघा भूमि का अवैध रूप से आदान-प्रदान हुआ और लगभग 55 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। 2024 में, नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने ओली सरकार के इस कानून को रद्द कर दिया।

ओरिएंटल कोऑपरेटिव स्कैम नेपाल का सबसे बड़ा घोटाला है। इस संस्था पर लगभग 87 अरब रुपये (लगभग 630 मिलियन डॉलर) की राशि गबन करने का आरोप है। इसमें लगभग 59,587 जमाकर्ताओं का पैसा फंसा हुआ है।

ओरिएंटल कोऑपरेटिव और उससे जुड़ी 40 से अधिक सहकारी संस्थाओं ने लोगों को उच्च ब्याज और आकर्षक योजनाओं का लालच दिया, लेकिन बाद में उनकी जमा पूंजी वापस नहीं की। जनवरी 2024 तक, सरकार जमाकर्ताओं को केवल 772.44 मिलियन रुपये ही लौटा पाई थी।

यह मामला नेपाल की संसद और सड़कों दोनों पर एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था। पीड़ितों ने लगातार विरोध प्रदर्शन किए और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।

नेपाल में सहकारी समितियों की स्थापना आम जनता की बचत और छोटे ऋण की सुविधा के लिए की गई थी। लेकिन देखते ही देखते कई समितियां भ्रष्टाचार और राजनीतिक प्रभाव का अड्डा बन गईं।

इमेज को-ऑपरेटिव में पूर्व मेयर देव कुमार नेपाली पर 2.25 अरब रुपये के गबन का आरोप लगा। सहकारी धोखाधड़ी के आरोपी बागलुंग के धोरपाटन नगर पालिका के मेयर देव कुमार नेपाली को भारत में गिरफ्तार किया गया था।

स्वर्णलक्ष्मी कोऑपरेटिव में सांसद माया राई पर 23 मिलियन रुपये के गबन का आरोप लगा। वहीं लमजुड कोऑपरेटिव में 65 मिलियन रुपये से ज्यादा की हेराफेरी हुई।

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