मछली पालकों के लिए बिहार सरकार की चेतावनी: सितंबर में मानने होंगे नए नियम!
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मछली पालन बिहार में किसानों की आय बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुका है. लेकिन बदलते मौसम और तालाब की स्थिति का सीधा असर मछलियों के स्वास्थ्य और उत्पादन पर पड़ता है. सितंबर का महीना इसलिए खास है क्योंकि इस समय मानसून की वजह से तालाबों का पानी बदलने लगता है और मछलियों की देखभाल पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है.

बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और मत्स्य निदेशालय ने मछली पालकों को कुछ जरूरी सुझाव दिए हैं ताकि मछलियां स्वस्थ रहें और उत्पादन पर कोई असर न पड़े.

तालाब का पानी हरा होने पर खास ध्यान रखें. सितंबर में अक्सर तालाब का पानी बहुत ज्यादा हरा हो जाता है. यह स्थिति मछलियों के लिए नुकसानदायक हो सकती है क्योंकि ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. विभाग की सलाह है कि ऐसी स्थिति में रासायनिक खाद और चूने का प्रयोग कम से कम एक महीने तक बंद कर देना चाहिए. इससे तालाब का संतुलन बना रहेगा और मछलियों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहेगी.

बारिश के मौसम में कई बार तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. अगर मछलियां पानी के ऊपर तैरने लगें या सांस लेने के लिए ऊपर-नीचे जाती दिखें, तो समझ लें कि ऑक्सीजन की कमी हो रही है. इस स्थिति से बचने के लिए किसान तालाब में पानी का आदान-प्रदान (फ्रेश पानी डालना) कर सकते हैं.

सितंबर के महीने में तापमान और नमी बदलने से मछलियों की खाने की क्षमता पर भी असर पड़ता है. अगर किसान ज्यादा दाना डालते हैं और मछलियां उसे नहीं खातीं तो वह दाना सड़कर पानी को खराब कर देता है. इसलिए सलाह दी गई है कि मछलियों को उनकी जरूरत के हिसाब से ही दाना दें. अगर मछलियां दाना खाने में सुस्ती दिखाएं तो तुरंत दाना डालना कम कर दें.

बरसात और सितंबर का मौसम मछलियों में बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ा देता है. खासकर फंगल इंफेक्शन, गलफड़ों की समस्या और वायरल बीमारियां इस समय ज्यादा देखने को मिलती हैं. मछली पालकों को सलाह है कि वे समय-समय पर तालाब में चूना और पोटाश का छिड़काव करें. यह पानी को संतुलित रखता है और बीमारियों का खतरा घटाता है. अगर किसी मछली में बीमारी के लक्षण दिखें तो उसे तुरंत अलग कर दें और नजदीकी मत्स्य पदाधिकारी से संपर्क करें.

तालाब की नियमित सफाई और निगरानी बेहद जरूरी है. किसान तालाब के किनारों की खरपतवार हटाएं, मरे हुए कीड़े या पत्ते साफ करें ताकि पानी खराब न हो. साथ ही तालाब की गहराई और पानी की गति पर भी नजर रखें. लगातार निगरानी से मछलियों की मौत या बीमारी जैसी समस्या से बचा जा सकता है.

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