दोहा में इसराइली हमले पर इस्लामी देशों में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
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कतर की राजधानी दोहा में हमास के वार्ताकारों पर इसराइली हमले के बाद इस्लामी देशों की कड़ी प्रतिक्रिया आई है। सऊदी अरब ने इसराइल को ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की चेतावनी दी है।

हमास का कहना है कि उनकी वार्ता टीम की हत्या का प्रयास किया गया, हालांकि हमले में संगठन के छह सदस्यों की मौत हुई है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘नाखुशी’ जाहिर की है। इसराइल का दावा है कि अमेरिका और कतर को हमले से पहले जानकारी दे दी गई थी।

कतर के विदेश मंत्रालय ने इसराइली हमले को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन बताते हुए ‘कायराना’ बताया। कतर के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके पास जवाब देने का अधिकार है और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालने वाली कार्रवाई के खिलाफ कड़े कदम उठाएंगे। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे ‘क्षेत्रीय संप्रभुता का घोर उल्लंघन’ कहा है। कतरी सरकार ने कानूनी विशेषज्ञों की टीम इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू को जिम्मेदार ठहराने के लिए नियुक्त की है।

अरब देशों की सरकारों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। मीडिया में इसे ‘नई हद’ बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। उधर, संयुक्त राष्ट्र में इसराइल के राजदूत ने कहा कि इसराइल हमेशा अमेरिका के हित के अनुसार कार्रवाई नहीं करता है।

हमले के खिलाफ पहली प्रतिक्रिया ईरान से आई, जो खुद भी ऐसे हमले का सामना कर चुका है। ईरान ने इसे ‘क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चेतावनी’ बताया। जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने इसे ख़तरनाक और अस्वीकार्य उकसावे वाली कार्रवाई करार दिया। सऊदी अरब ने अंतरराष्ट्रीय कानून के ‘बार-बार उल्लंघन’ के लिए इसराइल को ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की चेतावनी दी। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री ने इस हमले को कायराना और ग़ैर-जिम्मेदाराना उकसावा बताते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कार्रवाई की अपील की।

मिस्र ने हमले को खतरनाक मिसाल बताते हुए कहा कि यह कतर की संप्रभुता पर हमला है, वो भी तब जब दोहा गाजा में युद्धविराम के लिए वार्ता कर रहा था। जॉर्डन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसराइल को रोकने की मांग की। ओमान ने इसे राजनीतिक हत्या का घोर अपराध और राष्ट्र की संप्रभुता का घोर उल्लंघन बताया। इराक़, लेबनान, अल्जीरिया और फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने भी हमले की निंदा की है। अरब लीग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की मांग की है।

अरब मीडिया में इस हमले को प्रमुखता से कवर किया गया है। कुछ ने इसे नई लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन बताया, जबकि कुछ ने युद्धविराम वार्ता पर हमला बताया। अल जज़ीरा और स्काई न्यूज़ अरबिया ने कतर के प्रधानमंत्री के बयान को प्रमुखता दी, जिसमें जवाबी कार्रवाई करने के अधिकार की बात की गई। अल अरेबिया ने ट्रंप के उस बयान को प्रमुखता दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह इस हमले से खुश नहीं हैं।

सऊदी अख़बार अशरक अल-अवसत ने हेडलाइन दी- इसराइल ने दोहा में हमास को निशाना बनाया और वार्ता को भी चोट पहुंचाई। लंदन स्थित पैन-अरब दैनिक अल-क़ुद्स अल-अरबी ने लिखा कि ऐसी कार्रवाई व्यावहारिक तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी के बिना संभव नहीं हो सकती। दैनिक अल-अरब की हेडिंग थी, इसराइल हर जगह हमला करता है, उसके लिए कोई लक्ष्मण रेखा नहीं बची है। क़तर समर्थक अल-अरबी अल-जदीद में मिस्र के विपक्षी पत्रकार वाएल क़ंदील ने कहा कि इसराइल का हमला सिर्फ फ़लस्तीनी नेतृत्व पर ही नहीं, बल्कि क़तर पर सीधी आक्रामकता है।

यह पहली बार नहीं है कि इसराइल ने हमास के नेतृत्व पर निशाना साधने के लिए दूसरे देशों के अंदर भी हमले किए हैं।

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