ऑपरेशन सिंदूर: चार दिवसीय टेस्ट मैच क्यों? आर्मी चीफ ने बताए लम्बे युद्ध के 3 मूल मंत्र
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई सवाल उठे कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई इतनी जल्दी क्यों समाप्त हुई. आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने इन सवालों का जवाब देते हुए लम्बे युद्ध के लिए जरूरी पहलुओं पर प्रकाश डाला.

थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एआईएमए के 52वें नेशनल मैनेजमेंट कन्वेंशन में कहा कि सशस्त्र बलों को भी नहीं पता था कि संघर्ष कितने दिनों तक चलेगा. उन्होंने कहा कि कई लोगों को यह चार दिनों के टेस्ट मैच की तरह लगा.

आर्मी चीफ ने लम्बे युद्ध को जारी रखने के लिए तीन महत्वपूर्ण पहलू बताए: बल की योजना (Force Visualization), बल की सुरक्षा (Force Protection), और बल का प्रभावी उपयोग (Force Application).

जनरल द्विवेदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि शुरू में अनुमान था कि यह युद्ध 10 दिनों में समाप्त हो जाएगा. वहीं, ईरान-इराक युद्ध लगभग 10 सालों तक चला. ऑपरेशन सिंदूर के समय भी अनिश्चितता थी.

उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में हुई बल की योजना की गलत गणना की संभावना पर भी बात की. उन्होंने कहा कि यह समझना जरूरी है कि दुश्मन के पास कौन सी तकनीक है जो युद्ध को लम्बा खींच सकती है. भारत को लम्बे युद्ध के लिए पर्याप्त संसाधनों और तैयारी को सुनिश्चित करना होगा.

जनरल द्विवेदी ने आधुनिक युद्ध में डेविड और गोलियथ सिस्टम का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है कम लागत में उच्च तकनीक. उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में कम लागत वाली लेकिन उन्नत तकनीक सबसे ज्यादा प्रभाव डालती है. यह तकनीक अपने से बड़े और ताकतवर विरोधी को भी मात दे सकती है.

थलसेना प्रमुख ने बल की सुरक्षा को भी एक अहम पहलू बताया. उन्होंने कहा कि दुश्मन की मार झेलने और फिर पलटवार करने की क्षमता होनी चाहिए. इन तीन पहलुओं - बल की योजना, सुरक्षा और उपयोग - पर ध्यान देना आवश्यक है.

जनरल द्विवेदी ने कहा कि टारगेट लगातार बदलते रहेंगे. अगर किसी हथियार की मारक क्षमता 100 किलोमीटर है, तो उसे 300 किलोमीटर तक ले जाना होगा. दुश्मन भी अपनी तकनीक को बेहतर बना रहा है, इसलिए यह जरूरी है कि भारत भी अपनी तकनीकी क्षमता को बढ़ाए. आत्मनिर्भरता का महत्व बढ़ गया है.

ऑपरेशन सिंदूर 7 मई को शुरू हुआ था. यह 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के लिए किया गया था. जवाबी हमलों और पलटवारों के बीच, संघर्ष लगभग चार दिनों तक चला. 10 मई की शाम को दोनों पक्षों में समझौता होने के बाद सैन्य कार्रवाई रोक दी गई.

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