कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोनिया गांधी के एक लेख को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए ग्रेट निकोबार द्वीप प्रोजेक्ट को दुस्साहस बताया है. इस लेख में सोनिया गांधी ने निकोबार के लोगों और वहां के नाजुक पर्यावरण पर हो रहे अन्याय को उजागर किया है, जिसपर कांग्रेस लगातार चिंता जता रही है.
राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि यह प्रोजेक्ट आदिवासी अधिकारों को कुचल रहा है और कानूनी प्रक्रियाओं का मजाक बना रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने लेख में इस प्रोजेक्ट से निकोबार के लोगों और पर्यावरण को होने वाले नुकसान की बात कही है.
सोनिया गांधी ने द हिंदू में प्रकाशित अपने संपादकीय में इस प्रोजेक्ट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह परियोजना दुनिया के अनूठे पौधों और जानवरों के लिए खतरा है और यह इलाका प्राकृतिक आपदाओं के लिए भी संवेदनशील है.
सोनिया गांधी के अनुसार, 72,000 करोड़ रुपये की यह परियोजना द्वीप के आदिवासी समुदायों के अस्तित्व के लिए खतरा है. निकोबारी आदिवासियों के पूर्वजों के गांव इस परियोजना के क्षेत्र में आते हैं. 2004 की सुनामी के बाद, अब यह परियोजना उन्हें हमेशा के लिए विस्थापित कर देगी.
उन्होंने शोम्पेन समुदाय के लिए भी चिंता जताई, क्योंकि केंद्र सरकार की शोम्पेन नीति में स्पष्ट है कि बड़ी विकास परियोजनाओं को शुरू करने से पहले उनकी भलाई और अखंडता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. हालांकि, यह परियोजना शोम्पेन जनजातीय आरक्षित क्षेत्र का बड़ा हिस्सा हटा रही है, उनके जंगल नष्ट कर रही है और द्वीप पर बड़ी संख्या में लोगों और पर्यटकों के आने का रास्ता बना रही है.
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि जनजातीय अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए संवैधानिक और कानूनी संस्थानों को इस प्रक्रिया में दरकिनार कर दिया गया है.
कांग्रेस पहले भी इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठा चुकी है. राहुल गांधी ने केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि प्रोजेक्ट को मंजूरी देने में वनाधिकार कानून (FRA) का उल्लंघन हुआ है.
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट की शुरुआत 2021 में हुई. इस मेगा प्रोजेक्ट में ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, ऊर्जा संयंत्र और एक नया शहर बसाने की योजना है. यह प्रोजेक्ट अंडमान-निकोबार द्वीप समूहों के आखिरी छोर पर 72,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा है. यह द्वीप भारत की मुख्य भूमि से लगभग 1,800 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में 910 वर्ग किलोमीटर में फैला है. हिंद महासागर में भारत के दबदबे के लिए यह परियोजना महत्वपूर्ण है.
The Great Nicobar Island Project is a misadventure, trampling on tribal rights and making a mockery of legal and deliberative processes.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 8, 2025
Through this article, Congress Parliamentary Party Chairperson Smt. Sonia Gandhi highlights the injustices inflicted on Nicobar’s people and… pic.twitter.com/3mM4xHKq04
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