दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट में वकीलों की फिर हड़ताल, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गवाही पर कड़ा विरोध
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राउज एवेन्यू कोर्ट में वकीलों ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की अधिसूचना के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. यह अधिसूचना पुलिसकर्मियों को थानों से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की अनुमति देती है.

वकीलों का कहना है कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया के लिए गंभीर खतरा है और अदालतों की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है. उनका आरोप है कि यह निर्णय न्याय को कमजोर करने की कोशिश है.

वकीलों के अनुसार, यदि पुलिसकर्मी कोर्ट में हाजिर नहीं होंगे तो गवाह की विश्वसनीयता की जांच गंभीर रूप से प्रभावित होगी.

एक वकील ने विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा, गवाही कोर्ट में आमने-सामने होनी चाहिए. गवाह का आचरण, उसकी हिचकिचाहट और उसके जवाब देने का तरीका सब न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होता है. वीडियो पर यह सब पूरी तरह संभव नहीं है.

उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे अधिवक्ताओं ने कहा कि अदालत में पुलिस अधिकारियों की शारीरिक उपस्थिति से ही निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित हो सकती है.

उन्होंने सवाल उठाया कि यदि गवाह थाने से बोलेंगे तो क्या यह गारंटी है कि उन पर किसी का दबाव नहीं होगा? कोर्ट का माहौल अलग होता है और वहीं सच्चाई सामने आती है.

वकीलों ने यह भी तर्क दिया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही की व्यवस्था पुलिस को अनुचित लाभ पहुंचा सकती है. इससे गवाहों पर सीधा या अप्रत्यक्ष दबाव बढ़ने का खतरा रहेगा.

उनका कहना है कि यह अधिसूचना न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर चोट है और संविधान प्रदत्त निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन करती है.

राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर में जुटे वकीलों ने नारेबाजी करते हुए मांग की कि इस अधिसूचना को तुरंत वापस लिया जाए.

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आदेश को रद्द नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा. विरोध कर रहे अधिवक्ताओं ने कहा कि वे न्यायिक प्रक्रिया के साथ समझौता बर्दाश्त नहीं करेंगे.

उन्होंने कहा कि गवाह अदालत में ही पेश हों, यही परंपरा और यही कानून का तकाजा है.

उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि पुलिसकर्मी थानों से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालतों में गवाही दे सकते हैं. सरकार का तर्क है कि इससे पुलिसकर्मियों का समय बचेगा और लंबित मामलों की सुनवाई तेजी से हो सकेगी.

लेकिन वकीलों का कहना है कि प्रशासनिक सुविधा की आड़ में न्याय की नींव को हिलाया जा रहा है.

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