श्रीनगर के हजरतबल दरगाह में शुक्रवार को कट्टरपंथियों ने जमकर बवाल काटा। दरगाह की उद्घाटन पट्टिका पर लगे अशोक चिह्न को पत्थर मार-मार कर तोड़ डाला गया। कट्टरपंथियों का कहना था कि आकृतियां गढ़ना इस्लामी रिवाजों के विरुद्ध है।
इस घटना पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाते हुए कहा कि उस पत्थर पर राष्ट्रीय चिह्न लगाना चाहिए था या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। उन्होंने पूछा कि मजहबी चीज में अशोक चिह्न लगाने की क्या मजबूरी थी और कहा कि पत्थर लगाने की जरूरत ही नहीं थी।
विपक्षी पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी उमर अब्दुल्ला के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि गुस्ताखी की जाएगी तो लाजमी है कि हमें गुस्सा आता है। भावनाएं उमड़ जाती हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भावनाओं में बहकर तोड़फोड़ की, वे प्रतीक के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन लोगों को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार करना और उन्हें आतंकवादी कहना सही नहीं है। मुफ्ती ने अवाक्फ बोर्ड के खिलाफ धारा 295-ए के तहत कार्रवाई की मांग की क्योंकि उनके अनुसार यह कुफ्र (पाप) है।
इस घटना पर लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने दुख जताया और कहा कि अशोक चिह्न हमारी संप्रभुता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें हमारी राष्ट्रीय भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं और इन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है।
दरअसल, हज़रतबल दरगाह में ईद-ए-मिलाद के मौके पर एक नए गेस्ट हाउस की आधारशिला रखी गई थी, जिसमें अशोक स्तंभ का राष्ट्रीय चिह्न लगाया गया था। कट्टरपंथी भीड़ ने इसे मज़हब के खिलाफ़ बताते हुए पट्टिका पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक को पत्थरों से तोड़ डाला।
भीड़ का आरोप था कि दरगाह में मूर्ति जैसी चीज़ लगाई गई है, जो इस्लाम के खिलाफ़ है। पुलिस जब मौके पर हालात काबू करने पहुंची, तो भीड़ ने पत्थरबाज़ी कर पुलिस दल पर भी हमला कर दिया।
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख़्शां अंद्राबी ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अशोक स्तंभ पर हमला करने वाले एक राजनीतिक पार्टी के गुंडे हैं। उन्होंने मांग की कि FIR दर्ज होनी चाहिए, क्योंकि वायरल वीडियो में उनकी पहचान साफ है।
अंद्राबी ने यह भी सवाल उठाया कि जो लोग दरगाह में राष्ट्रीय चिह्न का अपमान कर रहे हैं, क्या वे बिना नोट के दरगाह आते हैं? उन्होंने कहा कि भारतीय मुद्रा पर भी तो अशोक स्तंभ है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दोषियों पर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो वह भूख हड़ताल पर बैठेंगी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय चिह्न का अपमान करने वालों की पहचान कर ली गई है और वे एक राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं। उनके खिलाफ़ कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करने पर कानून में 6 महीने की सज़ा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
*#WATCH | Srinagar, J&K | On the vandalisation of stone plaque at Hazratbal shrine, PDP chief Mehbooba Mufti says, ...The people who vandalised after getting overcome with emotions and they are not against the emblem...It is not right to say that these people should be arrested… pic.twitter.com/5OAhyR7VD5
— ANI (@ANI) September 6, 2025
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