हिमाचल प्रदेश बरसात और भूस्खलन से हर साल भारी तबाही का सामना करता है, जिससे राहत और पुनर्वास कार्य महत्वपूर्ण हो जाते हैं। हमीरपुर के सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर आपदा राहत में विफल रहने का आरोप लगाया है और केंद्र से आई राशि के खर्च पर सवाल उठाए हैं।
अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आपदा के बाद राज्य सरकार नुकसान का आकलन कर केंद्र को भेजती है। केंद्र सरकार SDRF, SDMF और NDRF के तहत आर्थिक मदद देती है, लेकिन कई बार इसका दुरुपयोग होता है।
ठाकुर ने सवाल उठाया कि क्या नुकसान वाले जिलों तक पर्याप्त पैसा पहुंचा और क्या वह प्रभावित क्षेत्रों में खर्च हुआ? उन्होंने बंदरबांट सिस्टम रोकने के लिए राज्य सरकार से श्वेतपत्र जारी करने की मांग की, जिससे जनता को पारदर्शिता में मदद मिल सके।
अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार प्रभावित परिवारों को तिरपाल तक नहीं दे पाई, जो उनकी विफलता को दर्शाता है।
उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि पिछले तीन वर्षों में केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को आपदा राहत मदों में लगभग ₹3,058 करोड़ दिए हैं।
उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि NDA सरकार ने यूपीए शासनकाल से कई गुना अधिक मदद दी।
2023 में आई भीषण आपदा में हिमाचल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था, जिसमें केंद्र सरकार ने लगभग ₹3,146 करोड़ की सहायता दी थी। इसके साथ ही प्रभावित परिवारों के लिए दिसंबर 2023 में 16,206 मकानों की स्वीकृति और सितंबर 2024 में 93,000 नए मकानों की स्वीकृति भी दी गई थी।
ठाकुर ने निजी स्तर पर भी मदद की और केंद्र से पहाड़ी राज्यों पर आपदाओं के अध्ययन की मांग की, जिस पर गृह मंत्री अमित शाह ने एक बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम गठित करने के निर्देश दिए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि हिमाचल को एक दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन नीति की आवश्यकता है। राहत राशि के वितरण में पारदर्शिता, प्रभावित क्षेत्रों की प्राथमिकता और संसाधनों का सही उपयोग सबसे बड़ा सवाल है।
सुक्खू सरकार का कहना है कि उन्होंने राहत कार्य में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार केवल दिखावा कर रही है और असल में राहत राशि का सही उपयोग नहीं हुआ।
अनुराग ठाकुर के बयान से यह साफ़ है कि वे सुक्खू सरकार की आलोचना और हिमाचल में आपदा प्रबंधन की समूची व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र ने फंड देने में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन राज्य सरकार को चाहिए कि वह राहत राशि पर एक श्वेतपत्र जारी कर पारदर्शिता दिखाए।
इस पूरे विवाद से यह साफ है कि आपदा राहत राजनीति के लिए भी खासा मैदान देती है। लेकिन या जनता की ज़िंदगी से जुड़ा सवाल है। पारदर्शिता और जवाबदेही ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकती है।
*देखना चाहिए कि हिमाचल के जिस ज़िले में नुकसान हुआ, क्या वहाँ पर्याप्त पैसा पहुँचा? राहत राशि का ‘बंदरबांट सिस्टम’ नहीं होना चाहिए।
— Shivendra Gaur Nidar (@shivendrathink) September 5, 2025
हिमाचल सरकार श्वेतपत्र जारी करे ताकि जनता को सच्चाई पता चले। – अनुराग ठाकुर
In Himachal, relief funds must reach the affected districts, not get lost… pic.twitter.com/PS7sD9IhoQ
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