टैरिफ में विफल, अमेरिका का जातिगत दांव: ट्रंप के सलाहकार नवारो ने ब्राह्मणों पर उगला ज़हर
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो भारत के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। पीएम मोदी के चीन दौरे और एससीओ समिट में मोदी-शी जिनपिंग-पुतिन की करीबी से अमेरिका बौखला गया है।

टैरिफ पर भारत को झुका न पाने के बाद, अमेरिका अब भारत में जातिगत आग भड़काने का सपना देख रहा है। इसकी शुरुआत पीटर नवारो ने ब्राह्मणों को लेकर जहर उगल कर की है।

ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले को सही ठहराने के लिए जाति का सहारा लिया।

नवारो का कहना है कि रूस से तेल खरीद का फायदा भारत का सिर्फ एक छोटा अभिजात्य तबका (ब्राह्मण) उठा रहा है। उनके अनुसार, ब्राह्मण रूस से तेल खरीदकर मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि नुकसान पूरे देश को हो रहा है। उन्होंने ट्रंप के टैरिफ निर्णय को सही बताया।

नवारो ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारतीय रिफाइनर रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदकर उसे प्रोसेस कर महंगे दामों पर निर्यात कर रहे हैं। खासकर भारत के ब्राह्मण अपने ही देश के लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं, और रूस इस पैसे का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में कर रहा है।

अमेरिका की यह पुरानी नीति रही है कि वह समर्थन न करने वाले शासकों को अपना कोपभाजन बनाता है। अमेरिका अक्सर अपने विरोधी राष्ट्राध्यक्षों को सत्ता से हटाने का प्रयास करता है।

भारत में, अमेरिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुछ भी करने में असमर्थ है। इसलिए, अब नए तरीकों से भारत को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची जा रही है, जिसके तहत जातिगत तनाव फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।

नवारो जैसे लोग बार-बार कह रहे हैं कि रूस से तेल खरीदने से भारत के कुछ खास लोगों को ही फायदा हो रहा है, जो कि पूरी तरह गलत है। भारत की सामाजिक और आर्थिक संरचना को बिना समझे इस तरह की टिप्पणियां ट्रंप प्रशासन को मूर्ख साबित कर रही हैं।

सवाल उठता है कि क्या नवारो ने ब्राह्मण शब्द का प्रयोग जाति के रूप में नहीं किया है? कुछ लोगों का कहना है कि नवारो ने इस शब्द का इस्तेमाल एलिट लोगों के लिए किया है, जैसे अमेरिका में बोस्टन ब्राह्मण शब्द का प्रयोग धनी और कुलीन परिवारों के लिए होता था।

हालांकि, नवारो के बयान - You got Brahmins profiteering at the expense of the Indian people - से स्पष्ट है कि उनका इशारा ब्राह्मण समुदाय की ओर था, जिसे वे रूसी तेल सौदों से लाभान्वित होने वाले एलिट समूह के रूप में देख रहे थे। यह बयान भारतीय समाज की जातिगत संरचना को दर्शाता है, जहाँ ब्राह्मणों को परंपरागत रूप से उच्च जाति माना जाता है और उन्हें आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक शक्ति के केंद्र के रूप में देखा जाता है।

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