आसमान बीते कुछ दिनों से गुस्से में है और लगभग आधा हिंदुस्तान पानी में डूबा हुआ है। हर तरफ बारिश हो रही है और देश बाढ़ से जूझ रहा है। पहाड़ी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में, आसमान से गिरने वाला पानी जमीन पर जानलेवा सैलाब बनकर बह रहा है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे मैदानी राज्य भी बाढ़ की चपेट में हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में भी आसमान से आफत बरस रही है।
लेकिन क्या आपने ध्यान दिया है कि इस साल बादल कुछ ज्यादा ही बरस रहे हैं? क्या आपने सोचा कि इतनी लगातार बारिश क्यों हो रही है? आसमान में ऐसा क्या हो रहा है?
इस साल मई के महीने में बारिश ने पिछले 125 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। आखिरी बार 1900 में हिंदुस्तान ने ऐसा मॉनसून देखा था। देश के 95% हिस्सों में बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है, यानी जहां भी बारिश हुई, वहां आफत आई। इस साल इतनी बारिश हुई है कि गंगा जैसी 7-8 नदियां बन जाएं। मुंबई शहर में अगस्त के महीने में इतनी बारिश हुई है कि साढ़े तीन साल तक पूरे मुंबई शहर की प्यास बुझ सकती है। 2025 में मॉनसून के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं और इसका असर मैदानी से पहाड़ी राज्यों तक दिख रहा है।
जम्मू कश्मीर में मॉनसून ने अपना 100 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आखिरी बार 1924 में ऐसी तबाही हुई थी। हिमाचल में भी मॉनसून का प्रकोप ऐसा है कि 675 सड़कें बंद पड़ी हैं। दोनों ही राज्यों में बादल फटने और लैंडस्लाइड की घटनाएं आम हो गई हैं। कुल्लू-मनाली में ब्यास नदी उफान पर है। बीते 24 घंटे में ब्यास नदी के किनारे बनीं 16 से ज्यादा बिल्डिंग बह चुकी है। 6 ब्रिज टूट चुके हैं। चंडीगढ़ मनाली हाईवे का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है।हिमाचल प्रदेश के मंडी में ब्यास नदी के किनारे स्थित ऐतिहासिक पंजवक्त्र महादेव मंदिर का बड़ा हिस्सा भी पानी में डूब गया है।
पिछले कुछ समय में अरब सागर और हिंद महासागर का तापमान 1.5 से 2 डिग्री तक बढ़ा है। समुद्र का तापमान पिछले पांच सालों में सबसे ऊपर है, जिसकी वजह से हवा में नमी की मात्रा बढ़ी है। इसलिए जब बारिश हो रही है तो तेज और लगातार हो रही है।
जलवायु परिवर्तन की गति तेज हो गई है, जिसकी वजह से मौसम में दिखने वाले बदलाव भी तीव्र हो गए हैं। इस बदलाव की स्थिति को टिपिंग प्वाइंट कहा जाता है। जलवायु परिवर्तन के असर को झेलने की सीमा को कुदरत पार कर चुकी है और अब इसका सीधा और तीव्र असर दिखना शुरू हो गया है।
टिपिंग पॉइंट का असर दो तरह से हो रहा है:
इस साल 30 से ज्यादा cloud burst यानि बादल फटने की घटनाएं हुईं हैं। भारी बारिश की वजह से जगह-जगह भूस्खलन हो रहे हैं।
2017 और 2018 में मौतों का आंकड़ा 700 से कम था। 2019 में यही आंकड़ा 1200 पहुंच गया। 2020 से 2024 तक हर साल 1300 से 1500 लोगों की जान गई। लेकिन 2025 में अगस्त तक ही 1700 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
बरसात का सिर्फ 10-20 फीसदी पानी फिर से भाप बनकर उड़ता है, वो भी तब जब धूप निकले। इसके अलावा 15 से 20 फीसदी पानी ग्राउंड रिचार्ज करता है। यानी जमीन सोख लेती है। वो भी मॉनसून के महीने के बाद। लेकिन इसका 60 से 70 फीसदी पानी रनऑफ स्ट्रीम बन जाता है.. यानी नदियों के जरिये ये समंदर तक पहुंचता है।
पहाड़ों पर जो बारिश हो रही है, उसका असर सटे हुए राज्यों में दिख रहा है। दिल्ली में यमुना नदी उफान पर है। यूपी में गंगा किनारे के शहरों में नदी का पानी घुस गया है। और पंजाब में तो हालात इस वक्त गंभीर बने हुए हैं।
इस साल 925 मिलीमीटर बारिश हुई है। पूरे भारत में 3 हजार खरब लीटर बारिश हुई है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, झेलम, कोसी, गंडक समेत देश की करीब 30 प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
जब नदी का पानी खेत की तरफ़ जाता है तो पानी के साथ रेत भी बहकर जाती है, जिससे किसान अपने खेत में फसल नहीं उपजा सकते और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
*#DNAWithRahulSinha | आसमान गुस्से में..हिंदुस्तान पानी में! आसमान के अंदर..क्या चल रहा है?
— Zee News (@ZeeNews) August 27, 2025
देश के पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश का दौर जारी...हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में बारिश से तबाही, कटरा में लैंडस्लाइड से अबतक 34 लोगों की मौत...रेस्क्यू ऑपरेशन जारी #DNA… pic.twitter.com/BsvOx2HMbj
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