बिहार में सियासी हलचल: मस्जिद में राहुल, गया में मोदी, राजनीति किस करवट?
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बिहार में राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हैं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जुमे के दिन मस्जिद पहुंचे, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गयाजी में चुनावी यात्रा पर थे। इन दोनों घटनाओं को राजनीतिक गलियारों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

राहुल गांधी बिहार में मुसलमानों की सबसे बड़ी धार्मिक संस्था खानकाह रहमानी पहुंचे। उनके साथ तेजस्वी यादव, सीपीआई एमएल के प्रमुख दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी भी थे। 1901 में स्थापित खानकाह रहमानी का स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान रहा है। यहां महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू जैसे नेता आ चुके हैं।

खानकाह रहमानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की स्थापना में भी शामिल थी। यह संस्था इस्लामिक शिक्षा के साथ कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग जैसे कोर्स भी कराती है। 1985 में राजीव गांधी भी यहां आए थे, और अब 40 साल बाद राहुल गांधी ने भी उसी जगह का दौरा किया है। बिहार में लगभग 18 फीसदी मुस्लिम आबादी है और विधानसभा की 45 सीटों पर उनका वोट निर्णायक है।

इससे पहले, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में इस्लामिक टोपी पहनने से इनकार कर दिया था। इसके 20 घंटे बाद राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेता खानकाह रहमानी में दिखे। राजनीतिक विश्लेषक इसे वोटों के ध्रुवीकरण के संदर्भ में देख रहे हैं।

हालांकि राहुल गांधी गयाजी में वजीरगंज के पुनावा हनुमान मंदिर नहीं जा पाए, लेकिन उन्होंने मस्जिद का दौरा किया। उन्हें मुंगेर में बाबा साहेब की प्रतिमा का अनावरण करना था, जहां उनके नहीं पहुंचने पर लोगों ने नाराजगी जताई।

उसी दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गयाजी में रैली की और बिहार को 13 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं की सौगात दी। उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी के कैंपस में भाषण दिया, जिसमें उन्होंने पिछली सरकारों पर भ्रष्टाचार और विकास में बाधा डालने का आरोप लगाया।

राजनीति के जानकार इन घटनाओं को चुनावी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास के शब्दों में, जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।

बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन (SIR) को लेकर भी विवाद है। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर फटकार लगाई है और कहा है कि वे लोगों की मदद करें।

इस बीच, कांग्रेस नेता डी के शिवकुमार ने कर्नाटक विधानसभा में आरएसएस की शाखाओं में गाई जाने वाली प्रार्थनाओं का जिक्र किया और बाद में आरएसएस की प्रशंसा की। महाराष्ट्र में भी अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार आरएसएस से जुड़े एक कार्यक्रम में शामिल हुईं, जिससे राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है।

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