रूस के तेल और एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार चीन और यूरोपीय यूनियन: जयशंकर का अमेरिका को करारा जवाब
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मास्को: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस से तेल खरीद पर संभावित अमेरिकी टैरिफ पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि भारत रूस से तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा देश नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन और यूरोपीय यूनियन क्रमशः रूस के तेल और एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार हैं।

जयशंकर ने कहा, रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार हम नहीं बल्कि चीन है। हम रूस से सबसे ज्यादा एलएनजी भी नहीं खरीदते हैं। रूस से सबसे ज्यादा एलएनजी यूरोपीय यूनियन खरीदता है।

मास्को में मीडिया से बातचीत में जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत उन देशों में भी शामिल नहीं है जिनका 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार सबसे ज्यादा बढ़ा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका ने पिछले कुछ सालों में वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने के लिए भारत से रूस से तेल खरीदने को कहा था।

उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका से भी तेल खरीद रहा है और यह मात्रा बढ़ गई है। जयशंकर ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि मीडिया इस मुद्दे को किस प्रकार पेश कर रहा है।

इस बीच, जयशंकर ने बुधवार को यह भी कहा कि भारत और रूस को जटिल भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए रचनात्मक और अभिनव दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए भारतीय वस्तुओं पर शुल्क दोगुना करने के फैसले के बाद भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव देखा जा रहा है।

जयशंकर ने मॉस्को में रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ बैठक में यह टिप्पणी की।

विदेश मंत्री ने अपने टेलीविजन पर प्रसारित भाषण में कहा कि भारत और रूस को द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाकर और अधिक संयुक्त उद्यमों के माध्यम से अपने सहयोग के एजेंडे में निरंतर विविधता लानी चाहिए और उसका विस्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा, अधिक काम करना और अलग तरीके से काम करना हमारा मंत्र होना चाहिए।

जयशंकर मंगलवार को रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे, जिसका उद्देश्य भारत-रूस की समय की कसौटी पर खरी उतरी साझेदारी को और मजबूत करना है।

जयशंकर-मंटुरोव की वार्ता भारत-रूस अंतर-सरकारी व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी एवं सांस्कृतिक सहयोग आयोग (आईआरआईजीसी-टीईसी) के ढांचे के तहत आयोजित की गई। इस बैठक का उद्देश्य इस वर्ष के अंत में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के लिए आधार तैयार करना था।

वर्तमान भू-राजनीतिक उथल-पुथल के संदर्भ में भारत-रूस संबंधों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में संबंधों को और मजबूत करने के लिए विशिष्ट सुझाव दिए।

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