केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 130वें संशोधन बिल पर विपक्ष के विरोध को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में पूरा विपक्ष कानून के दायरे से बाहर रहने, जेल से सरकारें चलाने और कुर्सी का मोह न छोड़ने के लिए इस बिल का विरोध कर रहा है.
शाह ने कहा कि मोदी सरकार देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रतिबद्ध है. जनता के आक्रोश को देखते हुए उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष की सहमति से यह संवैधानिक संशोधन बिल पेश किया, जिससे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्र व राज्य सरकार के मंत्री जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर बैठे लोग जेल में रहते हुए सरकार न चला सकें.
इस बिल का उद्देश्य सार्वजनिक जीवन में गिरते नैतिकता के स्तर को ऊपर उठाना और राजनीति में शुचिता लाना है. इस बिल के कानून बनने के बाद कोई भी व्यक्ति गिरफ्तार होकर जेल से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में शासन नहीं चला पाएगा.
शाह ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसे राजनीतिक व्यक्ति भी आएंगे जो गिरफ्तार होने से पहले नैतिक मूल्यों पर इस्तीफा नहीं देंगे. कुछ सालों से देश में ऐसी स्थिति बनी कि मुख्यमंत्री या मंत्री बिना इस्तीफा दिए जेल से सरकार चलाते रहे.
इस बिल में यह भी प्रावधान है कि आरोपित राजनेता को गिरफ्तारी के 30 दिन के अंदर अदालत से जमानत लेनी होगी. अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो 31वें दिन उन्हें अपने पद से हटा दिया जाएगा, अन्यथा वे कानूनी रूप से अयोग्य हो जाएंगे. कानूनी प्रक्रिया के बाद जमानत मिलने पर वे अपने पद पर लौट सकते हैं.
शाह ने सवाल किया कि क्या जेल में रहकर सरकार चलाना उचित है? उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ प्रधानमंत्री ने खुद को कानून के दायरे में लाने के लिए संविधान संशोधन पेश किया है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष इसका विरोध कर रहा है.
शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संविधान संशोधन संख्या-39 के जरिए प्रधानमंत्री को कानूनी कार्यवाही से ऊपर रखने का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की कार्यशैली है कि वे संविधान संशोधन करके प्रधानमंत्री को कानून से ऊपर करते हैं, जबकि भाजपा सरकार अपने प्रधानमंत्री, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को भी कानून के दायरे में ला रही है.
उन्होंने कांग्रेस नेता द्वारा उन पर की गई टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने गिरफ्तारी से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और अदालत से निर्दोष साबित होने तक कोई संवैधानिक पद नहीं लिया.
शाह ने कहा कि भाजपा और एनडीए हमेशा नैतिक मूल्यों के पक्षधर रहे हैं. लाल कृष्ण आडवाणी ने भी आरोप लगने पर इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस इंदिरा गांधी द्वारा शुरू की गई अनैतिक परंपरा को आगे बढ़ा रही है.
शाह ने कहा कि जिस लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए कांग्रेस अध्यादेश लाई थी, उसी लालू को राहुल गांधी गले लगा रहे हैं. विपक्ष का यह दोहरा चरित्र जनता समझ चुकी है.
शाह ने कहा कि यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष रखा जाएगा जहां इस पर गहन चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद कांग्रेस के नेतृत्व में INDI गठबंधन भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए इसका विरोध कर रहा था. आज विपक्ष पूरी तरह से बेनकाब हो गया है.
Laid the Constitution (One Hundred and Thirtieth Amendment) Bill, 2025 in the Lok Sabha. pic.twitter.com/wsohG2UP6x
— Amit Shah (@AmitShah) August 20, 2025
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