चीन को इंजीनियर चला रहे, अमेरिका को वकील: भारतीय दिग्गज का बड़ा बयान
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नई दिल्ली: चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर के बीच, भारतीय कंपनी जोहो के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि चीन को इंजीनियर चला रहे हैं, जबकि अमेरिका को वकील।

वेम्बू ने यह बात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डैन वांग की आने वाली किताब Breakneck: China s Quest to Engineer the Future से एक विचार साझा करते हुए कही।

वांग की किताब, जो 26 अगस्त को रिलीज होने वाली है, चीन और अमेरिका के बारे में एक नया नजरिया पेश करती है। किताब में कहा गया है कि 21वीं सदी की सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धा विचारधारा की नहीं, बल्कि काम करने के तरीके की है।

किताब के अनुसार, चीन बनाता है, अमेरिका बहस करता है। चीन मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान देता है, जबकि अमेरिका कानूनी मामलों में उलझा रहता है।

Breakneck के अनुसार, चीन के नेता ज्यादातर इंजीनियर हैं। साल 2020 तक पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सभी नौ सदस्यों के पास इंजीनियरिंग की डिग्री थी। वांग का मानना है कि अमेरिका एक वकील समाज बन गया है, जहां नीतियां बनाने वाले बिल्डर नहीं, बल्कि मुकदमेबाज हैं।

वांग अपने अनुभव से बताते हैं कि चीन के दूरदराज के इलाकों में भी अमेरिका के न्यूयॉर्क और लॉस एंजिल्स जैसे बड़े शहरों से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर है। उनका मानना है कि अमेरिका नियम बनाता है और बहस करता है, लेकिन निर्माण बहुत कम करता है।

हालांकि, वांग ने चीन की भी आलोचना की है। उन्होंने बताया कि चीन में तकनीकी विकास की वजह से लोगों को कई परेशानियां हुईं। एक बच्चे की नीति और जीरो-कोविड लॉकडाउन इसके उदाहरण हैं। इससे पता चलता है कि जब निर्माण बिना किसी रोक-टोक के होता है, तो उसके बुरे परिणाम भी हो सकते हैं।

वांग का कहना है कि चीन और अमेरिका दोनों ही बेचैन हैं और दोनों ही अतिवादी रवैया अपनाते हैं। चीन बहुत तेजी से निर्माण करता है, जबकि अमेरिका बहुत धीरे चलता है।

Breakneck किताब में सुझाव दिया गया है कि अमेरिका को फिर से मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान देना चाहिए, जबकि चीन को कानूनी नियंत्रण की जरूरत है।

विश्लेषकों ने इस किताब की तारीफ की है क्योंकि यह अमेरिका-चीन संबंधों को देखने का एक नया तरीका है। श्रीधर वेम्बू ने इस विचार को सोशल मीडिया पर साझा करके लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, और यह सवाल उठाया है कि क्या अमेरिका को अपनी नीतियों में बदलाव करने की जरूरत है।

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