वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट किया है कि व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात की कोई तारीख अभी तय नहीं है। उन्होंने दोहराया कि स्थायी शांति का रास्ता केवल नेताओं की बातचीत से ही निकलेगा।
यह संदेश ऐसे समय में आया है जब वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, यूरोपीय नेताओं और ज़ेलेंस्की की बातचीत के बाद रूस-यूक्रेन संघर्ष को खत्म करने की उम्मीदें जगी हैं।
ज़ेलेंस्की ने कहा, हमारे पास (पुतिन से बैठक की) कोई तारीख नहीं है। हमने त्रिपक्षीय बैठक के लिए अपनी तैयारी की पुष्टि की है, और अगर रूस, अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक का प्रस्ताव देता है, तो हम उस द्विपक्षीय बैठक के परिणाम को देखेंगे। उसके बाद हम त्रिपक्षीय बैठक के लिए जा सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा, यूक्रेन शांति के रास्ते पर कभी नहीं रुकेगा, और हम किसी भी तरह के फॉर्मेट के लिए तैयार हैं, लेकिन नेताओं के स्तर पर।
सोमवार को ज़ेलेंस्की यूरोपीय नेताओं के साथ वाशिंगटन पहुंचे थे। उनका मकसद ट्रंप को यह दिखाना था कि यूरोप यूक्रेन के साथ एकजुट है।
पिछला हफ्ता अलास्का में ट्रंप-पुतिन शिखर वार्ता हुई जिसमें यूरोपीय नेताओं को शामिल नहीं किया गया था, जिससे उनमें नाराजगी थी। अब वे चाहते हैं कि यूक्रेन और यूरोप को रूस की नई आक्रामकता से बचाने के लिए ठोस सुरक्षा गारंटी दी जाए।
वाशिंगटन में ज़ेलेंस्की के साथ यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, इटली की प्रीमियर जॉर्जिया मेलोनी, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे भी मौजूद थे।
चर्चाओं में इस बात पर जोर दिया गया कि यूक्रेन को नाटो जैसी सुरक्षा गारंटी दी जाए जो किसी भी शांति समझौते को स्थायी और भरोसेमंद बना सके।
ट्रंप और पुतिन की पिछली बैठक से संकेत मिला कि दोनों देश यूक्रेन के लिए मजबूत सुरक्षा गारंटी पर सहमत हो सकते हैं।
हालांकि, पुतिन की शर्तों में डोनेट्स्क और लुहान्स्क (यूक्रेन के पूर्वी इलाके) से यूक्रेनी सेना की पूरी तरह वापसी शामिल है, जबकि वे खेरसॉन और जापोरिज़्ज़िया में मौजूदा मोर्चों को फ्रीज करने की बात कर रहे हैं। कीव के लिए इन प्रस्तावों पर फैसला करना आसान नहीं है।
रूस-यूक्रेन युद्ध की जड़ 2014 से जुड़ी है, जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित विद्रोहियों को मदद दी।
रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो में शामिल न हो, क्योंकि उसे लगता है कि इससे पश्चिमी ताकतें उसकी सीमा तक पहुंच जाएंगी। दूसरी ओर, अमेरिका और यूरोप यूक्रेन को लोकतांत्रिक और स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में सपोर्ट कर रहे हैं।
लगातार युद्ध से रूस और यूक्रेन दोनों की आर्थिक और मानवीय स्थिति बिगड़ चुकी है, जबकि अमेरिका और यूरोप पर भी भारी आर्थिक बोझ और वैश्विक दबाव बढ़ रहा है।
रूस चाहता है कि उसे अपने कब्जे वाले इलाकों पर मान्यता मिल जाए, जबकि यूक्रेन चाहता है कि उसकी संप्रभुता और सुरक्षा की गारंटी मिले। अमेरिका इस प्रक्रिया में इसलिए एक्टिव है क्योंकि वह न केवल यूक्रेन का सबसे बड़ा समर्थक है बल्कि चाहता है कि यूरोप में स्थिरता बनी रहे और रूस का प्रभाव सीमित हो।
इसी वजह से अब त्रिपक्षीय बातचीत की कोशिशें तेज हो गई हैं, ताकि किसी समझौते से युद्ध को खत्म करने का रास्ता निकले।
#WATCH | Washington, DC | Ukrainian President Volodymyr Zelenskyy says, No, we dont have any dates (of a meeting with President Putin)... We confirmed that we are ready for a trilateral meeting, and if Russia proposes a bilateral meeting to the President of the United States,… pic.twitter.com/ScfWtvu0lw
— ANI (@ANI) August 19, 2025
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