ये बहुमंजिला इमारत इतनी आकर्षक है कि राहगीर इसके डिज़ाइन को निहारते रह जाते हैं. 915 फुट ऊंचे टावर की छत पर एक ढलान दिखाई देती है. 59 मंज़िलों की इस बिल्डिंग का उद्घाटन 1977 में सिटीकॉर्प ने किया था.
सिटीकॉर्प सेंटर के डिज़ाइन को सबने पसंद नहीं किया. कॉलेज के दो स्टूडेंट्स ने इमारत की इंजीनियरिंग में एक गंभीर खामी पकड़ी और हज़ारों लोगों की जान जाने से बच गई. लोगों को नहीं पता था कि तेज़ हवा का एक झोंका इस बिल्डिंग को गिरा सकता है.
यह बिल्डिंग न्यूयॉर्क में है और सिटीकॉर्प सेंटर आज भी खड़ा है, बस इसका नाम बदलकर 601 लेक्सिंग्टन कर दिया गया है. माना गया कि ऐसी खतरनाक हवाएं न्यूयॉर्क में हर 16 साल में आ सकती थीं.
जुलाई 1978 में जब टावर के इंजीनियर को इसका एहसास हुआ, तब तूफानी मौसम शुरू हो चुका था. अगले कुछ महीनों में रात के समय वेल्डरों ने मरम्मत का काम पूरा किया. उस समय अखबार में हड़ताल के चलते यह जानकारी जनता तक नहीं पहुंची.
इस संकट पर एक नई किताब आई है, जिसका नाम है द ग्रेट मिसकैलकुलेशन . इसमें 1978 की घटनाओं का ज़िक्र है. इसमें इंजीनियर विलियम लेमेसुरियर का ज़िक्र है, जिन्होंने अपनी कैलकुलेशन में संभावित त्रुटियां पता चलने पर खुद खतरे की घंटी बजा दी थी.
किताब के लेखक ने कहा कि हमारे सामने एक ऐसा व्यक्ति था जिसने दुनिया की सातवीं सबसे ऊंची इमारत में एक भयानक संरचनात्मक दोष की आशंका जताई और खुद को मुश्किल में पाया. उन्हें लगा होगा कि इस गलती का खुलासा होने पर उनका करियर बर्बाद हो जाएगा, लेकिन वह चुप नहीं रहे.
चारों कोनों से ऊंची यह इमारत हवा के प्रति संवेदनशील थी, क्योंकि इसका डिज़ाइन असामान्य था और मैनहट्टन की एक अजीब स्थिति के कारण बना था. सिटीकॉर्प कंपनी अपने नए कार्यालय के लिए पूरे मिडटाउन ब्लॉक को खरीदना चाहती थी, लेकिन सेंट पीटर्स लूथरन चर्च ने इनकार कर दिया. समस्या यह थी कि चारों कोनों से यह इमारत ऊंची बन गई थी.
इंजीनियरों की टीम ने खामी दूर करने का प्रयास शुरू किया. इमारत को 6 खंडों में बांटा गया. हर खंड में हवा और गुरुत्वाकर्षण भार का प्रेशर समझा गया. इससे अनुमान लगाया गया कि नींव तक कितना प्रेशर पहुंचेगा.
तेज़ हवाओं के दौरान गति को कम करने के लिए इंजीनियर लेमेसुरियर ने टावर की ऊपरी मंज़िलों में एक विशाल काउंटरवेट लगाने का प्रस्ताव रखा. इस उपकरण में 400 टन का एक कंक्रीट ब्लॉक लगा था, जो इमारत की गति के विपरीत दिशा में खिसककर कंपन को कम करता था. कैलकुलेशन पूरे हुए और मॉडल का टेस्ट भी कर लिया गया. 1977 के आसपास इंजीनियर को खूब प्रसिद्धि मिल चुकी थी, उन्हें अवॉर्ड भी मिल चुके थे.
एक दिन रिसर्चर का फोन आया. दूसरी तरफ इंजीनियरिंग छात्रा डायने हार्टले थीं. वह प्रिंसटन विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई के अपने अंतिम वर्ष में थीं. उन्होंने ऊंची इमारतों के इतिहास और प्रभाव पर अपने शोध में इस टावर को भी शामिल किया था. लेमेसुरियर की फर्म ने उनकी मदद की और तस्वीर, मॉडल और आंकड़े उपलब्ध करा दिए.
स्टूडेंट ने गगनचुंबी इमारत को जाकर देखा. उस मास डैम्पर (हवा या भूकंप की रफ़्तार को संभालने वाला लोड) को देखा. जब हार्टले ने हवा के लोड के सामने टावर की प्रतिक्रिया का मॉडल तैयार किया, तो कुछ समझ नहीं आया.
उनकी गणना बता रही थी कि टावर से तिरछे टकराने वाले हवा के झोंके (जिससे इमारत के दोनों किनारों पर एक साथ दबाव पड़ता है) लंबवत हवाओं की तुलना में 42% ज़्यादा प्रेशर पैदा करते हैं. हार्टले ने कहा कि उन्हें कभी नहीं लगा कि उन्होंने कुछ असामान्य खोज लिया है. वह यह समझने की कोशिश कर रही थीं कि वह गलत क्यों थीं.
उनकी थीसिस पहले ही लेट हो चुकी थी. उन्होंने इंजीनियर लेमेसुरियर के कार्यालय में फोन किया और उनके एक प्रोजेक्ट इंजीनियर से बात की, तो उन्होंने छात्रा को यकीन दिलाया कि गणना सही नहीं है और इमारत ज़्यादा मज़बूत है. उस बातचीत के आधार पर थीसिस अपडेट कर उन्होंने जमा कर दी. हार्टले बाद में इस बातचीत को भूल गईं.
एक डॉक्यूमेंट्री में उन्होंने देखा कि एक मिस्ट्री स्टूडेंट ने अलार्म बजाया था. यह स्पष्ट नहीं है कि उसी प्रोजेक्ट इंजीनियर ने लेमेसुरियर से यह चिंता बताई होगी या नहीं. फिर भी, उन्हें सिटीकॉर्प सेंटर की संभावित घातक खामी का पता चलने की एक मुख्य कड़ी माना जाता है.
2011 में एक और स्टूडेंट सामने आया जिसने बताया कि उसने 1978 में लेमेसुरियर से संपर्क किया था. आर्किटेक्चर के छात्र ली डेकारोलिस ने बताया कि उन्होंने खंभों से जुड़ी चिंताओं को सीधे इंजीनियर को फोन पर बताया था. लेमेसुरियर का 2007 में निधन हो गया. अब यह नहीं पता चल सकता कि उन्हें किसने गलतियों के बारे में बताया था.
लेमेसुरियर ने खामी पता चलने पर स्टील सप्लाई करने वाले से बात की थी और तब पता चला कि समय और पैसा बचाने के लिए उनकी जानकारी के बिना टावर ब्रेसिंग (एक दूसरे लोहे को जोड़ने का काम) वेल्डिंग करके नहीं, बल्कि बोल्ट से जोड़ा गया था.
लेमेसुरियर ने कुछ सुधार करवाए, लेकिन उन्हें 30वीं मंज़िल पर बोल्ट वाले जोड़ों की चिंता हमेशा रही. उनका मानना था कि उसके टूटने की सबसे ज़्यादा आशंका है. एक कनेक्शन टूटने से पूरी इमारत ढह जाएगी और इसका आसपास की इमारतों पर भी गहरा असर पड़ सकता है.
मौसम के आंकड़ों को देखते हुए लेमेसुरियर ने निष्कर्ष निकाला कि सिटीकॉर्प सेंटर को ध्वस्त करने लायक तूफान न्यूयॉर्क शहर में हर 50 साल में एक बार आता है. अगर मास डैम्पर काम न करे तो भी यह संभावना घटकर हर 16 साल में एक बार रह जाती है.
उन्होंने लिखा था कि सदी के अंत तक बिल्डिंग के पूरी तरह से ढह जाने की 100% संभावना है. उन्होंने यह भी कहा कि जब बिल्डिंग ढह जाएगी तो सब अचानक होगा. किसी को संभलने का मौका नहीं मिलेगा और हज़ारों लोगों की जान जा सकती है.
एक लेक्चर में उन्होंने कहा था कि वह दुनिया के एकमात्र व्यक्ति हैं जिसे सब पता है. इमारत में कुछ भी गड़बड़ नहीं है, किसी को नहीं पता कि कुछ गड़बड़ है. कोई दरार नहीं है. इमारत पूरी तरह से ठीक चल रही है.
उनकी बेटियों से बातचीत में पता चला कि वह इतना टेंशन में आ गए थे कि सुसाइड के बारे में सोचने लगते थे. बाद में रात में दो महीने में गलती काफी कुछ सही की गई और लेमेसुरियर को गलत नहीं माना गया, क्योंकि उन्होंने सब खुलकर स्वीकार किया था.
Excited to see @CNN feature The Great Miscalculation, highlighting an incredible NYC engineering story!
— NYU Press (@NYUpress) August 15, 2025
The Citicorp Tower faced a 1-in-16 collapse risk, but one engineer s courage saved thousands.
Read more: https://t.co/EHm8ZWFZXS pic.twitter.com/sANs8L4VYk
अंतरिक्ष विजेता शुभांशु शुक्ला की भारत वापसी: दिल्ली एयरपोर्ट पर देशभक्ति का ज्वार!
CP जा रहे परिवार का सफर खौफनाक मोड़ पर, ड्राइवर की हरकत से बढ़ीं दिल की धड़कनें
उदयपुर फाइल्स फ्लॉप होने पर निर्माता अमित जानी ने हिंदुओं को बताया मृत कौम
क्या भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया? जानिए डोनाल्ड ट्रंप का दावा
एशिया कप 2025 से पहले क्रिकेट जगत में शोक, दिग्गज टेस्ट कप्तान का निधन
कोलकाता में द बंगाल फाइल्स के ट्रेलर लॉन्च पर हंगामा, विवेक अग्निहोत्री ने कहा - ये तानाशाही है!
मेट्रो में थप्पड़ का बदला: लड़के ने ऐसा जवाब दिया, हंसी रोकना मुश्किल!
जीत के लिए 4 रन चाहिए थे, बल्लेबाज ने लगाया ऐसा स्विच हिट, वीडियो देख दंग रह जाएंगे!
ऋतिक रोशन ने वॉर 2 पर फैंस का जताया आभार, कबीर को बताया खास
अभिनेत्री पल्लवी का सवाल - क्या कश्मीर के हालात बंगाल से बेहतर? फिल्म रोकने पर जताया विरोध