पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर PoK में विद्रोह, आसिम मुनीर के खिलाफ लगे नारे
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पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoK) के रावलकोट में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुस्सा फिर से फूट पड़ा है। पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हजारों लोग सड़कों पर उतरे और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को खुलेआम अमेरिका का पालतू कुत्ता और ट्रंप की कठपुतली बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में प्रदर्शनकारी जोर-जोर से नारे लगा रहे हैं- अमेरिका ने कुत्ते पाले, वर्दी वाले-वर्दी वाले। लोगों का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना कश्मीरियों के मानवाधिकारों को कुचल रही है और पूरी तरह अमेरिकी इशारों पर नाच रही है। हालांकि, वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं हो सकी है।

रावलकोट में यह विरोध मौजूदा हालात का नतीजा नहीं है, बल्कि PoK में लंबे समय से पनप रहे गुस्से का प्रतीक है। बीते वर्षों में मुजफ्फराबाद, कोटली और कई शहरों में भी लोगों ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरकर जमकर विरोध जताया है। कई बार सुरक्षाबलों को खदेड़ने और पीटने तक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

दूसरी ओर, जमात-ए-इस्लामी बलूचिस्तान के अमीर मौलाना हिदायतुर रहमान ने चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान की केंद्र सरकार ने छह महीने के भीतर उनकी 8 सूत्रीय मांगों पर अमल नहीं किया, तो वे पाकिस्तान आर्मी के जनरल हेडक्वार्टर (JHQ) रावलपिंडी तक विरोध मार्च करेंगे। उन्होंने यह ऐलान इस्लामाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया।

हिदायतुर रहमान, जो क्वेटा से इस्लामाबाद तक के विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहे थे, ने कहा कि यह लंबा मार्च 25 जुलाई को शुरू हुआ था और इसका मकसद बलूचिस्तान में हो रहे अन्यायों के खिलाफ आवाज उठाना है।

उनकी मांगों में जबरन गायब किए गए लोगों की वापसी, कानून-व्यवस्था की खराब हालत, सुरक्षा चौकियों पर बदसलूकी, फ्रंटियर कॉर्प्स की असीमित मौजूदगी, सीमा बंदी और ट्रॉलर माफिया के शिकंजे को खत्म करने जैसी मांगें शामिल हैं।

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ग्वादर के लोगों को बिजली, साफ पानी, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं दी गईं, तो ग्वादर का डीप सी पोर्ट पूरी तरह चालू नहीं होने दिया जाएगा। अगर जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो सरकार को हमारे शवों के ऊपर से गुजरना पड़ेगा।

मार्च में राजनीतिक कैदियों की रिहाई, वीरान जगहों पर शव फेंकने की घटनाएं बंद करने और बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों व तटीय संपत्तियों पर वहां के लोगों का पूर्ण अधिकार देने की मांग भी शामिल है।

रहमान ने कहा कि बलूचिस्तान असेंबली में पारित प्रस्तावों का कोई व्यावहारिक महत्व नहीं है और सरकार लगातार जनता की समस्याओं की अनदेखी कर रही है।

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