दुनिया का टैरिफ किंग अब अमेरिका, ट्रंप इन 3 बातों से भारत से हैं नाराज़: पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप
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भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर जारी गतिरोध पर पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप ने विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि अब भारत नहीं, बल्कि अमेरिका दुनिया का टैरिफ किंग है।

स्वरूप ने बताया कि भारत का औसत टैरिफ 15.98 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका का टैरिफ 18.4 प्रतिशत है। इस प्रकार, वास्तविकता यह है कि टैरिफ से अमेरिका को एक साल में लगभग 100 अरब डॉलर मिलेंगे। लेकिन अंततः इसका भुगतान अमेरिकी जनता को ही करना होगा, जिससे अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी।

स्वरूप ने पाकिस्तान के साथ अमेरिका की बढ़ती करीबी पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अमेरिका रणनीतिक रूप से चूक कर रहा है, क्योंकि वह चीन के करीबी देश के साथ मेलजोल बढ़ा रहा है, जबकि चीन अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी है।

उन्होंने कहा कि अगर किसी बदमाश के आगे झुकेंगे तो वह अपनी मांग बढ़ाता ही जाएगा। भारत एक बड़ा देश है और किसी देश का पिछलग्गू नहीं बन सकता। विदेश नीति में हमारी रणनीतिक स्वायत्तता 1950 से रही है और दिल्ली में चाहे कोई भी सरकार हो, वह इससे समझौता नहीं करेगी।

स्वरूप ने भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर चल रहे विवाद पर कहा कि ट्रंप भारत से तीन कारणों से खुश नहीं हैं। पहला, भारत ब्रिक्स का सदस्य है और ट्रंप को लगता है कि ब्रिक्स अमेरिका-विरोधी गठबंधन है जो डॉलर के विकल्प के रूप में एक नई मुद्रा बनाने पर तुला हुआ है।

दूसरा, ऑपरेशन सिंदूर और उसमें ट्रंप की कथित युद्धविराम कराने की भूमिका। भारत का कहना है कि ट्रंप की इसमें कोई भूमिका नहीं थी, क्योंकि भारत बाहरी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता। यह युद्धविराम पाकिस्तान और भारत के डीजीएमओ के बीच सीधे, पाकिस्तान के डीजीएमओ के अनुरोध पर कराया गया था। ट्रंप ने लगभग 30 बार कहा है कि उन्होंने दोनों देशों को टकराव के कगार से पीछे हटाया। इसलिए उन्हें इस बात का मलाल है कि भारत ने उनकी भूमिका को स्वीकार नहीं किया, जबकि पाकिस्तान ने न केवल उनकी भूमिका स्वीकार की, बल्कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित भी किया।

तीसरा, यह ट्रंप के दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है, ताकि भारत अमेरिकी डेयरी, कृषि और जीएम फसलों से जुड़ी अधिकतम मांगों पर दस्तखत कर दे। स्वरूप ने कहा कि भारत ने झुकने से इनकार कर दिया है। ट्रंप इस बात से भी निराश हैं कि वे राष्ट्रपति पुतिन को युद्धविराम के लिए राजी नहीं करा पाए।

अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ पर स्वरूप ने कहा कि ट्रंप एक डीलमेकर हैं और उन्होंने यह अपनी पहचान बना ली है कि वे शांति कराने वाले हैं। उन्हें लगता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। ट्रंप ओबामा से एक कदम आगे बढ़ना चाहते हैं, और इसी वजह से, मेरा मानना है, उन्होंने नोबेल शांति पुरस्कार पाने की अपनी चाहत को कभी छुपाया नहीं। उन्हें उम्मीद है कि अगर वे रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम करा पाते हैं, तो वही उनके लिए नोबेल शांति पुरस्कार का टिकट बन सकता है।

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