अमेरिका के दबाव में भी नहीं झुका भारत, रूस से तेल खरीदना जारी!
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भारत ने एक बार फिर अमेरिका के दबाव को दरकिनार करते हुए रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखने का फैसला किया है। यह निर्णय भारत की ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वतंत्र विदेश नीति का प्रमाण है।

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नाटो महासचिव मार्क रूट ने भारत जैसे देशों को रूस से तेल खरीदने के खिलाफ चेतावनी दी थी, यहां तक कि ट्रंप ने 25% टैरिफ और जुर्माने की धमकी भी दी थी। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हितों और बाजार की ताकतों पर आधारित है, न कि बाहरी दबाव पर।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, जिससे रूसी तेल सस्ता हो गया। भारत ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए भारी मात्रा में तेल खरीदा। मई 2025 में, भारत ने रूस से प्रतिदिन 1.96 मिलियन बैरल तेल आयात किया, जो उसके कुल आयात का 38% से अधिक था। इससे भारत को अरबों डॉलर की बचत हुई और महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिली।

अमेरिका और उसके सहयोगी रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को कमजोर करना चाहते हैं। ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन दावों को खारिज कर दिया है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रतिबंध लगने पर भारत गुयाना, ब्राजील और कनाडा से तेल आयात करेगा, जो दर्शाता है कि भारत ने विकल्प तैयार रखे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति का मूल मंत्र राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना है। भारत ने रूस के साथ ऐतिहासिक संबंधों को बनाए रखा है और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत किया है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी उपलब्ध विकल्पों का उपयोग करेगा।

भारत के इस कदम से ट्रंप को झटका लगा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह नीति आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है और वैश्विक मंच पर भारत की स्वतंत्र छवि को मजबूत करती है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिकी दबाव में नहीं झुकना चाहिए, क्योंकि इससे भविष्य में और मांगें बढ़ सकती हैं।

मोदी की कूटनीति ने भारत को एक मजबूत और स्वतंत्र खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत के सख्त रुख के आगे ट्रंप को झुकना पड़ सकता है और टैरिफ पर रियायत देनी पड़ सकती है। भारत का यह फैसला उसकी आर्थिक और रणनीतिक स्वतंत्रता का प्रतीक है।

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