उत्तर भारत में एक पुरानी हवेली की खुदाई में मिली 18वीं सदी की बुलेटप्रूफ तिजोरी ने पुरातत्वविदों और सुरक्षा एजेंसियों में सनसनी मचा दी है। यह तिजोरी न केवल अपनी बाहरी संरचना के कारण अद्वितीय है, बल्कि अपने जटिल लॉकिंग सिस्टम से भी विशेषज्ञों को चकित कर रही है।
तिजोरी के बाहर लोहे की कीलें लगी हैं, जो इसे मजबूत बनाती हैं और संकेत देती हैं कि यह किसी विशेष रक्षा तंत्र के तहत बनाई गई थी। इसमें लाकिंस सिस्टम नामक पुरानी तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसे आज के आधुनिक डिजिटल लॉक्स से भी अधिक सुरक्षित माना जाता है।
तिजोरी की बनावट और वजन को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि यह किसी राजघराने या बड़े व्यापारी परिवार की रही होगी। ऐसी तिजोरियां प्राचीन काल में केवल अत्यंत धनी वर्ग द्वारा प्रयोग की जाती थीं। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह तिजोरी सिर्फ किसी खास के पास हो सकती थी। इसके लॉकिंग सिस्टम में 4 लेयर हैं, जिसमें एक मास्टर की, दो मैकेनिकल लॉक और एक सीक्रेट रोटेशनल लॉक है।
फिलहाल तिजोरी पूरी तरह से बंद है, और इसे खोले बिना इसके अंदर क्या है, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। पुरातत्व और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम इसे बिना नुकसान पहुंचाए खोलने की कोशिश कर रही है। इसमें प्रयुक्त धातु की संरचना, विशेष रूप से धातु की कीलें, यह अनुमान लगाने में मदद कर रही हैं कि यह बुलेट को रोकने में सक्षम है। इसकी सतह को गोली से परखने पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस तिजोरी के अंदर क्या हो सकता है? पुरातत्व विभाग का मानना है कि इसमें या तो राजसी दस्तावेज, जैसे जमींदारी पट्टे, सैन्य गोपनीय जानकारी, या सोना-चांदी और बेशकीमती रत्न हो सकते हैं। कुछ स्थानीय इतिहासकारों का मानना है कि यह तिजोरी शायद 1857 की क्रांति के समय छिपाई गई थी, जब कई व्यापारियों और नवाबों ने अपनी संपत्ति अंग्रेजों से बचाने के लिए गुप्त स्थानों पर छिपा दी थी।
तिजोरी की कुछ विशेष विशेषताएं इसे बेजोड़ बनाती हैं:
पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ. अनुज त्रिपाठी का कहना है, यह तिजोरी न केवल तकनीकी रूप से जटिल है, बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से आज के कई आधुनिक लॉकर सिस्टम से भी बेहतर है। इसे खोलने की प्रक्रिया धीमी लेकिन ऐतिहासिक रूप से बेहद अहम होगी।
सुरक्षा एजेंसियों की नजरें भी इस तिजोरी पर टिकी हैं। ऐतिहासिक दस्तावेज या महंगी वस्तुओं की संभावना के कारण, इसे सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है। जहां यह तिजोरी मिली है, वहां स्थानीय निवासियों की भीड़ लगातार बनी हुई है।
क्या यह तिजोरी भारत के इतिहास में नया मोड़ लाएगी? इतिहासकारों के लिए यह खोज बेहद अहम मानी जा रही है। अगर इसके अंदर कोई अभिलेख, संधि-पत्र, या राजसी आदेश मिलते हैं, तो यह भारत के इतिहास को एक नई दिशा दे सकती है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जब यह तिजोरी खुलेगी, तब इतिहास के कौन से पन्ने उजागर होंगे।
यह तिजोरी लगभग 18वीं 19वीं शताब्दी की बताई जा रही है, इसके आकृति में लाकिंस सिस्टम है, इसकी चाभी और मल्टी लेयरिंग लाकिग सिस्टम की वजह से खास है, सामने लगी धातु की कीलें यह बताती है कि यह बुलेट प्रूफ है,
— Mahima Yadav (@SinghKinngSP) August 1, 2025
ऐसी तिजोरियां राजघराने, व्यापारियों के यहां होती थी! pic.twitter.com/KTL8Wv4bVm
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