यूपी-यूके समेत कई राज्यों में झमाझम बारिश की उम्मीद, जानिए अगस्त में कैसा रहेगा मौसम
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भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मानसून सीजन के दूसरे हिस्से के लिए राहत भरी खबर दी है। अगस्त और सितंबर 2025 में देश में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। यह वर्षा कृषि, जलस्तर सुधार और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है।

हालांकि, पूर्वोत्तर भारत और कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में कम वर्षा की संभावना से चिंता बनी हुई है।

IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि सितंबर में बारिश सामान्य से ज्यादा रहने की संभावना है। पूरे मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दूसरे भाग में देशभर में औसत से 106% वर्षा हो सकती है, जो दीर्घकालिक औसत (LPA) से अधिक है। LPA का मान 422.8 मिमी माना जाता है, जो 1971 से 2020 तक के 50 वर्षों का औसत है।

उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत के ज्यादातर क्षेत्रों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। पूर्वोत्तर भारत, पूर्वी भारत के कुछ भाग, मध्य भारत के अलग-थलग क्षेत्र और प्रायद्वीपीय भारत के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में कम बारिश होने का अनुमान है।

महापात्रा ने कहा कि मानसून के पहले हिस्से, जून और जुलाई में, देश में सामान्य से 6% अधिक बारिश हुई है। हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में इससे बाढ़ जैसी स्थिति भी बनी थी।

1 जून से 31 जुलाई तक देश में 474.3 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य (445.8 मिमी) से 6% अधिक है। इस दौरान 624 बार अति भारी बारिश और 76 बार अत्यंत भारी बारिश हुई है। यह आंकड़ा पिछले 5 सालों में सबसे कम है।

पूर्वोत्तर भारत में यह लगातार पांचवां साल है जब बारिश सामान्य से कम रही है। IMD के अनुसार, पिछले 30 वर्षों में पूर्वोत्तर भारत में वर्षा की मात्रा घटने का ट्रेंड दिखा है।

दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बारिश से राहत मिली है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी हल्की बारिश की संभावना जताई है।

उत्तर प्रदेश में 1 से 6 अगस्त तक कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। पश्चिमी यूपी में गरज-चमक के साथ हल्की बारिश की संभावना है, जबकि पूर्वी यूपी में कुछ स्थानों पर मध्यम बारिश हो सकती है।

उत्तराखंड में मौसम विभाग ने देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल और बागेश्वर जिलों में भारी बारिश और आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है।

IMD की भविष्यवाणी देश के लिए सकारात्मक संकेत है, खासकर किसानों और जल प्रबंधन के लिए। हालांकि, पूर्वोत्तर भारत के लिए यह एक चुनौती बनी हुई है। बारिश का असमान वितरण जलवायु परिवर्तन का असर भारत के मानसून पैटर्न पर दिखा रहा है।

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