अमेरिकी धौंस के आगे भारत झुका नहीं, ट्रंप ने लगाया 25% टैरिफ!
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भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता विफल होने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। यह कदम, मोदी सरकार की राष्ट्र प्रथम नीति और किसी भी आर्थिक अधीनता को अस्वीकार करने के भारत के रुख का प्रमाण है।

महीनों तक चली बातचीत के बावजूद, अमेरिका की शर्तों पर झुकने से भारत के इनकार के बाद यह टैरिफ लगाया गया है। समझा जाता है कि भारत, अमेरिकी कृषि उत्पादों और डेयरी उत्पादों को खुली छूट देने के लिए तैयार नहीं था, क्योंकि इससे घरेलू उद्योगों और किसानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता।

भारत के रूस के साथ संबंधों ने भी अमेरिका को नाराज किया है। भारत रूस से ऊर्जा और सैन्य हार्डवेयर खरीदता रहा है, जिसे लेकर अमेरिका ने अतिरिक्त पैनल्टी की घोषणा की।

ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने की घोषणा को असफल दबाव का संकेत बताया। उन्होंने कहा कि टैरिफ का कारण असहयोग या खराब व्यवहार नहीं है, बल्कि यह भारत के नहीं झुकने का प्रमाण है। ऐसे समय में जब जापान अमेरिका की शर्तों पर टैरिफ व्यवस्था में छूट दे रहा था, भारत एकतरफा समझौता करने के लिए तैयार नहीं हुआ और बातचीत छोड़कर बीच में ही निकल गया।

भारत के रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदने के फैसले को एक व्यावहारिक आर्थिक कदम बताया जा रहा है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस पर पश्चिमी देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए। ऐसे में रूस काफी कम दाम पर कच्चा तेल भारत को बेचता है। इससे भारत को ऊर्जा बिलों में अरबों की बचत करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद मिल रही है।

भारत का रूस के साथ पारंपरिक रक्षा संबंध रहा है। रूस से हथियार खरीदने पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को सख्त ऐतराज रहा है, जिसे भारत लगातार अनदेखा करता रहा है।

ट्रंप ने भारत पर टैरिफ की घोषणा के बाद ये साफ करने की भी कोशिश की कि उन्हें रूस और भारत के रिश्ते से कोई फर्क नहीं पड़ता पर असलियत इससे बिल्कुल उलट है।

ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर झूठ भी फैलाया था। उन्होंने दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर उन्होंने कराया और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तनाव कम करने में मदद की थी। लेकिन यह भारतीय सेना का अभियान था, जिसने न केवल पहलगाम आतंकी हमले का बदला लिया, बल्कि सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका को भी उजागर किया।

भारत के लिए संप्रभुता सर्वोपरि है। ट्रंप की आक्रामक लेन-देन संबंधी कूटनीति के आगे न झुक कर भारत ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि वह किसी भी वैश्विक शक्ति का जागीरदार नहीं बनेगा। चाहे सैन्य निर्णय हों, ऊर्जा स्रोत हों, या व्यापार नीति, भारत अपने राष्ट्रीय हित में कार्य करेगा।

हालाँकि ये टैरिफ भारत की निर्यात को थोड़े वक्त के लिए नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी दिख सकता है। लेकिन बड़े कैनवास पर देखें तो ये दीर्घकालिक स्वायत्तता के लिए चुकाई जाने वाली एक छोटी सी कीमत है।

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