पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। भारत ने एक बूंद भी पानी न जाने देने की बात कही है, जिस पर पाकिस्तान ने इसे युद्ध की कार्रवाई मानते हुए शिमला समझौते सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों से हटने की धमकी दी है।
भारत का कहना है कि यह फैसला तब तक जारी रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता। पाकिस्तान ने आरोपों का खंडन करते हुए सबूत मांगे हैं और हमले में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया है।
सिंधु और अन्य नदियों के पानी से वंचित होने से बचने के लिए पाकिस्तान कई विकल्पों पर विचार कर रहा है:
वर्ल्ड बैंक के सामने मुद्दा उठाना: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ़ ने कहा है कि वे इस मामले को मध्यस्थता के लिए वर्ल्ड बैंक ले जाएंगे, क्योंकि यह संधि उसी की मध्यस्थता में हुई थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भी कहा है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत संधि पर रोक नहीं लगा सकता।
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय में चुनौती: पाकिस्तान के विधि और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक के अनुसार, पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के इस फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। वे परमानेंट कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन और अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीजे) में भी इस मुद्दे को उठाने पर विचार कर रहे हैं, जहाँ भारत पर 1969 वियना कन्वेंशन के लॉ ऑफ़ ट्रीटीज़ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाना: पाकिस्तान इस मुद्दे को कूटनीतिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाने पर भी विचार कर रहा है। अकील मलिक ने कहा है कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे को उठाने पर भी विचार कर रहे हैं, क्योंकि संधि को एकतरफा निलंबित नहीं किया जा सकता।
अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के विकल्प: अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की है। ईरान ने तनाव कम करने के लिए भारत और पाकिस्तान में अपने बेहतर राजनयिक रिश्तों का इस्तेमाल करने की पेशकश की है। पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में भूमिका निभाने वाले सऊदी अरब ने पहलगाम हमले के बाद भी दोनों देशों के अधिकारियों से बात की है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने क्षेत्रीय तनाव को लेकर कई देशों से बातचीत का सिलसिला बढ़ा दिया है।
सिंधु जल संधि, जो 1960 में हुई थी, के तहत सिंधु बेसिन की तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, और सतलुज) का पानी भारत को आवंटित किया गया, जबकि तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, और चिनाब) के जल का 80 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान को आवंटित किया गया। भारत को पूर्वी नदियों के पानी का बेरोकटोक इस्तेमाल करने का अधिकार है, जबकि पश्चिमी नदियों के पानी के इस्तेमाल के कुछ सीमित अधिकार भी दिए गए हैं।
इस संधि को लेकर पहले भी विवाद रहे हैं, खासतौर पर पश्चिमी नदियों पर भारत के जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण को लेकर पाकिस्तान विरोध करता रहा है।
*India and Pakistan are brotherly neighbors of Iran, enjoying relations rooted in centuries-old cultural and civilizational ties. Like other neighbors, we consider them our foremost priority.
— Seyed Abbas Araghchi (@araghchi) April 25, 2025
Tehran stands ready to use its good offices in Islamabad and New Delhi to forge greater… pic.twitter.com/5XsZnEPg2D
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