डिंपल यादव पर टिप्पणी: लखनऊ में मौलाना रशीदी के खिलाफ सपा कार्यकर्ताओं का आक्रोश, पोस्टर जलाए
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लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद डिंपल यादव पर मौलाना साजिद रशीदी की आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ लखनऊ में बवाल मच गया है। रशीदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद सपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है।

बुधवार को समाजवादी छात्र सभा के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के 1090 चौराहे पर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने रशीदी के पोस्टर पर स्याही पोती और फिर उसे जला दिया।

छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष धीरज श्रीवास्तव ने रशीदी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एजेंट बताते हुए चेतावनी दी कि समाजवादी पार्टी महिलाओं के सम्मान पर हमला सहन नहीं करेगी।

इस घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजनीतिक भाषा की मर्यादा पर बहस छेड़ दी है।

लखनऊ के विभूतिखंड थाने में रशीदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन सपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि केवल प्राथमिकी से काम नहीं चलेगा।

1090 चौराहे पर हुए प्रदर्शन में कार्यकर्ताओं ने रशीदी की तस्वीर पर काली स्याही फेंकी और पोस्टर जलाया। चौराहे पर लगाए गए पोस्टर में लिखा था, जूता चप्पल और कुटाई, मौलाना साजिद रशीदी और उनके आकाओं की यही दवाई।

धीरज श्रीवास्तव ने कहा कि रशीदी भाजपा के टुकड़ों पर पलने वाला मौलाना है, जिसे समाजवादी आंदोलन की ताकत का अंदाजा नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उसने अपनी भाषा पर काबू नहीं रखा, तो समाजवादी कार्यकर्ता सड़कों से लेकर न्यायालय तक उसे घेर लेंगे।

मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी ने न केवल सपा कार्यकर्ताओं को, बल्कि आम लोगों को भी आहत किया है। सोशल मीडिया पर इस बयान के खिलाफ जमकर प्रतिक्रिया आ रही है। कई यूजर्स ने यह सवाल उठाया है कि क्या महिलाओं के सम्मान को राजनीति में बली का बकरा बना दिया गया है?

राजनीति में वैचारिक असहमति अब व्यक्तिगत हमलों में बदलती जा रही है। यह मामला अब सिर्फ एक बयान या विरोध तक सीमित नहीं रहा। यह राजनीतिक मर्यादा बनाम भीड़ के न्याय जैसा रूप लेता जा रहा है।

सत्तापक्ष पर यह सवाल उठ रहा है कि ऐसी टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं होती? वहीं, विपक्ष के विरोध के तरीके भी चर्चा का विषय बन रहे हैं।

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