एक दो बार नाकाम और… बेटे की कामयाबी के बाद अगरकर पर वाशिंगटन सुंदर के पिता का आरोप
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टीम इंडिया के ऑलराउंडर वाशिंगटन सुंदर का टेस्ट क्रिकेट में अनुभव भले ही ज्यादा लंबा न हो, लेकिन मैनचेस्टर टेस्ट की दूसरी पारी में उनकी बल्लेबाजी ने सबका दिल जीत लिया. रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर उन्होंने शतक बनाया और टीम को हार के मुंह से बाहर निकाला. मैच ड्रॉ रहा.

सुंदर ने भारत के लिए अब तक सिर्फ 12 टेस्ट मैच खेले हैं. बल्ले से उनका औसत 44.86 का है, और गेंद से उन्होंने 32 विकेट लिए हैं, जिसमें पिछले साल सात विकेट भी शामिल हैं. मैनचेस्टर में इस बल्लेबाज ने अपने करियर का पहला शतक लगाया.

हालांकि, इसके बावजूद सुंदर के पिता ने चयनकर्ताओं के अध्यक्ष अगरकर और टीम प्रबंधन पर हमला बोला है.

वाशिंगटन सुंदर के पिता एम सुंदर का मानना है कि चयनकर्ताओं ने उनके बेटे के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया है. उनका कहना है कि वाशिंगटन के प्रदर्शन को लगातार नजरअंदाज किया जाता है और उन्हें खेल के तीनों प्रारूपों में अभी तक नियमित रूप से खेलने का मौका नहीं मिला है.

एम सुंदर का आरोप है कि बाकी सभी खिलाड़ी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनके बेटे के साथ ऐसा व्यवहार नहीं हो रहा है. सुंदर हेडिंग्ले में खेले गए पहले टेस्ट मैच की प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं बना पाए थे. हालांकि, टीम प्रबंधन ने उन्हें बर्मिंघम के एजबेस्टन में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच से टीम में शामिल कर लिया था.

एम सुंदर ने कहा, वाशिंगटन लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. हालांकि, लोग उसके प्रदर्शन को नजरअंदाज कर देते हैं और भूल जाते हैं. दूसरे खिलाड़ियों को नियमित मौके मिलते हैं, सिर्फ मेरे बेटे को नहीं मिलते.

उन्होंने कहा, वाशिंगटन को लगातार पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करनी चाहिए, जैसा उन्होंने चौथे टेस्ट की दूसरी पारी में किया था और उन्हें लगातार पांच से दस मौके मिलने चाहिए. हैरानी की बात है कि मेरे बेटे को इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट के लिए नहीं चुना गया. चयनकर्ताओं को उसके प्रदर्शन पर नजर रखनी चाहिए.

एम सुंदर ने लॉर्ड्स टेस्ट की दूसरी पारी का भी जिक्र किया, जहां वाशिंगटन ने चार विकेट लिए थे और इंग्लिश बल्लेबाजों को खूब परेशान किया था.

उनका मानना है कि वाशिंगटन को एक-दो बार नाकाम होने पर ही टीम से बाहर कर दिया जाता है, जबकि दूसरे क्रिकेटरों के साथ ऐसा नहीं होता.

मेरे बेटे को एक-दो मैच में फेल होने पर ही टीम से बाहर कर दिया जाता है. यह सही नहीं है. वाशिंगटन ने 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में टर्निंग पिच पर नाबाद 85 रन और उसी साल अहमदाबाद में उसी टीम के खिलाफ 96* रन बनाए थे. अगर उन दो पारियों में शतक भी बन जाते, तब भी उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाता. क्या किसी अन्य भारतीय क्रिकेटर के लिए इस तरह का रवैया अपनाया गया है? इन सबके बाद वह बहुत मजबूत हो गए हैं और इसका नतीजा यह है कि लोग अब उनका प्रदर्शन देख रहे हैं, एम सुंदर ने कहा.

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