जरूरतमंदों की मदद के लिए एक शख्स ने अपनी 9000 बीघा ज़मीन तक बेच डाली। कोविड के दौरान 90 कट्ठा ज़मीन बेचकर 5 करोड़ रुपये से हजारों जरूरतमंदों की सहायता की गई। बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 5 बीघा ज़मीन बेचकर 3 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
35 वर्षों में लगभग 300 करोड़ रुपये से अधिक दान कर चुके हैं, हर रोज़ 500 भूखों को खाना खिलाते हैं, और रोजाना 10 लाख रुपये की सामाजिक मदद करते हैं।
कोविड महामारी में जब सबने साथ छोड़ा, तब इस व्यक्ति ने आगे बढ़कर लोगों का हाथ थामा। उन्होंने 90 कट्ठा ज़मीन बेचकर करीब 5 करोड़ रुपये जरूरतमंद लोगों की सहायता में लगा दिए। राशन बांटा, ऑक्सीजन सिलेंडर दिए, दवाइयों और अस्पताल के खर्च वहन किए, एंबुलेंस सेवा दी और अंतिम संस्कार तक का खर्च अपनी जेब से उठाया।
उनकी टीम ने बिहार के लगभग हर जिले में अपने नेटवर्क के जरिए हजारों लोगों को मदद पहुंचाई। कई बार तो वे स्वयं पीपीई किट पहन कर अस्पताल पहुंचे और लोगों को बचाया।
बिहार और उत्तर प्रदेश में बाढ़ की तबाही में जब सैकड़ों गांव जलमग्न हुए और हजारों लोग बेघर हो गए, तब सरकार से पहले इनका हाथ उन तक पहुंचा। 5 बीघा ज़मीन बेचकर खर्च किए 3 करोड़ रुपये से नाव, राशन, टेंट, कपड़े, दवाइयां और पुनर्वास की व्यवस्था की गई। कई जगहों पर अस्थायी स्कूल और अस्पताल भी बनवाए गए।
इस व्यक्ति का 35 सालों से अधिक का सार्वजनिक जीवन सिर्फ सेवा, समर्पण और जरूरतमंद लोगों को मदद करने में बीता। उनकी संपत्ति धीरे-धीरे खत्म होती रही, लेकिन लोगों के चेहरों की मुस्कान बढ़ती रही।
अब तक कुल लगभग 300 करोड़ रुपये लोगों की भलाई में खर्च कर चुके हैं। हर दिन औसतन 10 लाख रुपये की मदद विभिन्न रूपों में करते हैं। 40,000 से अधिक गरीब छात्राओं की शिक्षा का जिम्मा उठाया। 700 से अधिक विधवाओं को हर माह भत्ता दिया जाता है। 150 से अधिक गंभीर रोगियों का इलाज उनके खर्च पर चल रहा है।
इनकी रसोई हर दिन 500 से अधिक लोगों को मुफ्त भोजन देती है। चाहे कोई भिखारी हो या रिक्शावाला, इनके दरवाजे पर कोई भूखा नहीं जाता। इनके पास एक वाहन भी है, जो शहरभर में घूमकर बेसहारा लोगों को खाना पहुंचाता है। साथ ही, हर रविवार को गरीब बच्चों को पौष्टिक आहार और शिक्षा सामग्री दी जाती है।
आज इनके पास बमुश्किल 1 बीघा जमीन और एक पुराना घर बचा है। लेकिन उन्हें इस बात का कोई मलाल नहीं। उनका कहना है- मेरे पास जो भी था, वो लोगों का था। भगवान ने मुझे सिर्फ माध्यम बनाया।
इस व्यक्ति का जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक इंसान चाहे तो अकेले ही समाज की दिशा बदल सकता है। उनकी हर सांस, हर कदम सिर्फ जरूरतमंद लोगों को मदद करने के लिए समर्पित रही है। वे इस समय किसी सरकारी सम्मान या मीडिया की कवरेज से दूर हैं, लेकिन जनता उन्हें मसीहा मानती है। उनकी कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है - जो बताती है कि सेवा ही सच्चा धर्म है।
इस आदमी के पास कभी 9000 बीघा जमीन थी
— Kavish Aziz (@azizkavish) July 28, 2025
कोविड के दौरान इन्होंने 90 कट्ठा जमीन बेच कर 5 करोड रुपए से लोगों की मदद किया।
5 बीघा जमीन बेचकर 3 करोड रुपए बाढ़ पीड़ितों पर खर्च किया
35 साल के सार्वजनिक जीवन में 300 करोड़ रुपये से अधिक जरूरतमंद लोगों को बांट दिए हैं
हर रोज 500 लोगों को… pic.twitter.com/Tr9OVizElH
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