जयशंकर का पलटवार: ट्रंप के सीजफायर दावे को नकारा, पाकिस्तान को बेनकाब किया, राहुल पर भी साधा निशाना
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लोकसभा में सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर पर चर्चा हुई, जहाँ विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की। कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद हमने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया।

जयशंकर ने बताया कि 23 अप्रैल को सिंधु जल समझौता रोका गया, अटारी चेक पोस्ट बंद की गई, पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजा गया, और पाकिस्तान के रक्षा प्रतिनिधि को दूतावास से वापस भेजा गया। हमने वैश्विक समुदाय को पाकिस्तान के आतंकवाद के बारे में बताया और यह स्पष्ट किया कि हम आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और दोषियों को दंडित करने की बात कही। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए हमने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। जब 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद में हमले पर चर्चा चल रही थी, तो टीआरएफ ने जिम्मेदारी ली, जिसके बाद टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया गया।

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने सटीक हमले किए और नौ स्थानों को निशाना बनाया, आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, जिसे यूएनएससी ने भी स्वीकार किया। बहावलपुर और मुरिदके को निशाना बनाकर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया गया।

जयशंकर ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई देशों से फोन आए जो हमारी कार्रवाई के बारे में जानना चाहते थे। हमने सभी को बताया कि हम आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं और भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे।

उन्होंने बताया कि क्वाड सहित कई देशों ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का समर्थन किया और पहलगाम हमले की निंदा की। रूस, ईरान, मिस्र और मध्य एशिया ने भी सीमापार आतंकवाद की कड़ी निंदा की।

सीजफायर को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि 10 मई को पाकिस्तान की ओर से सीजफायर का निवेदन आया था, लेकिन अमेरिका से कोई कॉल नहीं आई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।

विपक्ष के हंगामे पर गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को घेरा और कहा कि उन्हें विदेश मंत्री पर नहीं, पाकिस्तान पर भरोसा है।

विदेश मंत्री ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और कहा कि उन्होंने इतिहास नहीं पढ़ा है। उन्होंने याद दिलाया कि पीओके 1950 में बना था और चीन-पाकिस्तान के बीच सैन्य प्रशिक्षण 1966 में शुरू हुआ था।

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