क्या वाकई सिर्फ भारत के स्टेशन गंदे हैं? न्यूयॉर्क सबवे की चौंकाने वाली सच्चाई!
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भारतीय रेलवे स्टेशनों को लेकर अक्सर शिकायत रहती है कि वे गंदे हैं और अव्यवस्थित। सोशल मीडिया से लेकर टीवी डिबेट तक, इनकी हालत पर सवाल उठाए जाते हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के विकसित देशों में हालात कैसे हैं?

न्यूयॉर्क के सबवे सिस्टम पर एक नजर डालिए, जिसे अमेरिका का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण ट्रांज़िट सिस्टम माना जाता है। इसे देखकर आपको भारतीय स्टेशनों की स्थिति बेहतर लगने लगेगी।

न्यूयॉर्क का मेट्रो सिस्टम दुनिया का सबसे पुराना और व्यस्त सबवे नेटवर्क है। यहां रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं। लेकिन इसकी हालत देखकर कोई भी हैरान रह सकता है।

स्टेशन के कोनों में फैली पेशाब की दुर्गंध आम बात है, जो यात्रियों के लिए रोजमर्रा की परेशानी बन चुकी है।

दीवारों और सीढ़ियों पर वर्षों से जमी गंदगी की परतें सफाई की बदहाल स्थिति को उजागर करती हैं।

बिखरी हुई सुइयां न केवल सफाई व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं, बल्कि नशाखोरी की गंभीर सामाजिक समस्या को भी सामने लाती हैं।

इतना ही नहीं, कई स्टेशनों पर बेघर लोगों ने डेरा जमा लिया है, जिससे सफाई बनाए रखना और भी मुश्किल हो गया है।

भारत के रेलवे स्टेशनों पर भीड़भाड़, कचरा और अव्यवस्था जैसी समस्याएं लंबे समय से रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हालात में सकारात्मक बदलाव भी आए हैं।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत कई स्टेशनों की सफाई व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

बड़े और व्यस्त स्टेशनों पर अब बायो टॉयलेट्स, जगह-जगह डस्टबिन और मशीनों से सफाई करने जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया जा रहा है।

आईआरसीटीसी की ओर से स्टेशन परिसर में खानपान की गुणवत्ता के साथ-साथ सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयास किए गए हैं।

आज इंदौर, गांधीनगर और विशाखापट्टनम जैसे कई रेलवे स्टेशन देश के सबसे साफ स्टेशनों में गिने जाते हैं।

अक्सर यह धारणा बनी रहती है कि पश्चिमी देश, विशेषकर अमेरिका, साफ-सफाई के आदर्श उदाहरण होते हैं।

लेकिन न्यूयॉर्क के सबवे की वास्तविकता इस सोच को पूरी तरह से झुठला देती है।

वहां की गंदगी अब सिर्फ एक स्वच्छता की समस्या नहीं, बल्कि असुरक्षा और अव्यवस्था का प्रतीक बन चुकी है।

यात्रियों को ट्रेन का इंतजार करते समय तीखी बदबू का सामना करना पड़ता है। सबवे स्टेशनों पर अस्वच्छ बाथरूम, खुलेआम भिक्षावृत्ति और मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों की उपस्थिति यात्रा को डरावना और असुरक्षित बना देती है।

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