थाईलैंड और कंबोडिया में युद्ध: दो मंदिरों के लिए खूनी संघर्ष!
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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक नया युद्ध शुरू हो गया है. ईरान और इजरायल के बीच तनाव कम हुआ ही था कि अब थाईलैंड और कंबोडिया आपस में भिड़ गए हैं.

कल रात थाईलैंड ने कंबोडिया पर हवाई हमला किया. इन हमलों में थाईलैंड ने F-16 विमानों का इस्तेमाल किया, जिससे कंबोडिया का एक सैन्य बेस पूरी तरह तबाह हो गया.

जवाबी कार्रवाई में कंबोडिया ने भी थाईलैंड पर लंबी दूरी की मिसाइलों से हमला किया है और अपनी फौज और टैंक थाईलैंड बॉर्डर की तरफ रवाना कर दिए हैं. कंबोडिया के रॉकेट हमले में एक अस्पताल और एक पेट्रोल पंप निशाना बने हैं, जिससे भारी नुकसान हुआ है.

इस खूनी संघर्ष की वजह दो प्राचीन हिंदू मंदिर हैं: प्रिय विहार मंदिर और तां माओ मंदिर. 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच बने ये दोनों मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं और थाईलैंड और कंबोडिया के बॉर्डर पर स्थित हैं.

दोनों देशों के बीच बॉर्डर के इसी हिस्से को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. जून 2025 में तनाव तब बढ़ गया जब कंबोडियाई सैनिकों ने मंदिर परिसर में अपना राष्ट्रगान गाया. थाईलैंड ने इस हरकत का विरोध किया, जिसके बाद कंबोडियाई सरकार ने भूमि विवाद का मुद्दा उठाया.

थाईलैंड ने हवाई बमबारी से जवाब दिया, जिससे टकराव एक बड़े युद्ध में बदल गया है. सीमावर्ती इलाकों में दोनों देशों की सेनाएं लगातार बमबारी कर रही हैं.

थाईलैंड के सुरीन, सीसाकेट और उबोन प्रांत के बॉर्डर्स पर लगातार गोलीबारी चल रही है. थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हमलों में 32 नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि कंबोडिया के 25 से 30 सैनिकों के मारे जाने की खबर है.

पहले भी, 17 साल पहले, दोनों देशों के बीच इन्हीं मंदिरों पर अधिकार को लेकर एक छोटा युद्ध हुआ था. 2008 के उस टकराव में कंबोडिया के 19 और थाईलैंड के 16 सैनिक मारे गए थे.

इस बार, थाईलैंड ने पहले ही हमले में अपनी वायुसेना का इस्तेमाल किया है, जो दिखाता है कि वह इस विवाद में खुद को ऊपर साबित करना चाहता है. वहीं, कंबोडिया ने भी लंबी दूरी के रॉकेट दागे हैं, जो इशारा देता है कि वह भी पीछे हटने को राजी नहीं है.

पूर्वी एशिया में पहले ही चीन और ताइवान के बीच तनाव चरम पर है. उत्तर कोरिया की वजह से जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश अलर्ट मोड में हैं. ऐसे में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच का यह टकराव अगर बड़े युद्ध में बदला, तो पूरे क्षेत्र की स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी.

कंबोडिया के पास अधिकतर हथियार चीन के बने हैं, जबकि थाईलैंड के पास ज्यादातर हथियार अमेरिका के हैं. यह युद्ध यह भी तय करेगा कि चीन के हथियार बेहतर हैं या फिर अमेरिका के.

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