अचल संपत्ति के लिए चीन का नया पैंतरा: रेगिस्तानों में खड़े किए सौर ऊर्जा कारखाने!
News Image

चीन अपनी विशाल बंजर भूमि को बदलने में लगा है। देश अपने विशाल रेगिस्तानी क्षेत्रों को समतल कर वहां सौर पैनल स्थापित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर तेजी से काम कर रहा है।

इसका स्पष्ट उद्देश्य तेल और कोयले पर निर्भरता को कम करना और स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से अपने शहरों को रोशन करना है। चीन के पास गोबी और तकला मकान जैसे विशाल रेगिस्तान हैं, जो हजारों किलोमीटर तक फैले हुए हैं।

इन बंजर इलाकों में न तो खेती होती है और न ही कोई मानव बस्ती। इसलिए चीन इन्हें सौर ऊर्जा केंद्र में बदलने में जुटा है।

इस कहानी में एक दिलचस्प मोड़ यह भी है कि ये सौर पैनल रेगिस्तान को भी सुधार रहे हैं। कड़ी धूप को अवरुद्ध करके और नमी को बनाए रखकर, ये पैनल उन स्थानों पर घास उगाने में मदद कर रहे हैं जहां पहले केवल धूल ही धूल थी।

इस तरह चीन को ऊर्जा के साथ-साथ भूमि भी मिल रही है, जिसका उपयोग भविष्य में खेती या पूरे शहर बसाने के लिए किया जा सकता है। यह माना जा रहा है कि पृथ्वी को बचाने के साथ-साथ चीन को इससे अतिरिक्त अचल संपत्ति भी प्राप्त हो सकती है।

रिपोर्टों के अनुसार, चीन कई बड़े सौर पार्क विकसित कर रहा है, जो अकेले ही कई छोटे देशों की बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। कुछ परियोजनाएं इतनी विशाल हैं कि केवल एक संयंत्र ही पूरे शहर को 24 घंटे बिजली प्रदान कर सकता है।

चीन दुनिया में सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश भी है। उसकी फैक्टरियां और बिजलीघर भारी मात्रा में कोयला और तेल जलाते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा होता है।

अब चीन ने ग्रीन एनर्जी पर दांव लगाया है। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में वह अपनी आधी से अधिक बिजली सौर, पवन और हाइड्रो पावर से उत्पन्न करे।

रेगिस्तान में न तो घनी आबादी होती है और न ही कोई बड़ा ढांचा होता है। वहां सूरज भी खूब चमकता है, यानी सौर ऊर्जा के लिए जगह और रोशनी दोनों भरपूर मिलती हैं। इसलिए चीन ने विशाल सौर फार्म बनाने के लिए रेत के टीलों को समतल करना शुरू कर दिया है।

इससे न केवल बिजली पैदा होगी, बल्कि रेगिस्तानी इलाकों में ग्रीन बेल्ट भी विकसित किए जा रहे हैं, ताकि मिट्टी के कटाव को रोका जा सके।

माना जा रहा है कि इतनी बड़ी सौर परियोजनाओं के लिए भारी निवेश, पानी की आवश्यकता और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव जैसे कई सवाल भी उठ रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि रेगिस्तान में इतनी बड़ी परियोजनाओं से वहां के प्राकृतिक जीवन चक्र को नुकसान हो सकता है।

इसके बावजूद, चीन का कहना है कि उसके पास तकनीक और मैनपावर दोनों हैं और वह अपने लक्ष्य को हर हाल में पूरा करेगा।

*

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

यशस्वी जायसवाल का बल्ला टूटा, 126 किमी प्रति घंटा की गेंद ने किया हैरान

Story 1

चमत्कार! शिवरात्रि पर नंदी महाराज ने पिया दूध, वायरल हुआ वीडियो

Story 1

पाकिस्तान: अपनी ही मिसाइल से तबाही के कगार पर! परमाणु केंद्र बना निशाना

Story 1

वैभव सूर्यवंशी का शर्मनाक रिकॉर्ड: करियर में पहली बार शून्य पर आउट!

Story 1

बाइक में घर का ताला: लोगों ने कहा, पक्का मारवाड़ी, जुगाड़ू!

Story 1

होटल के रिसेप्शन पर भालू का धावा! इंतज़ार किया, गुस्सा हुआ, वापस लौटा

Story 1

41 नहीं, 21 साल कहिए जनाब! डिविलियर्स का हैरतअंगेज कैच

Story 1

हाथ में गड़ासा, जुबां पर आग: सड़क पर महिला की दबंगई से दहशत!

Story 1

मैनचेस्टर में ऋषभ पंत गंभीर रूप से घायल, एम्बुलेंस से मैदान से बाहर

Story 1

एबी डिविलियर्स का धमाका, भारत की करारी हार!