जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, अब कौन बनेगा देश का अगला उपराष्ट्रपति? चुनावी प्रक्रिया जानिए
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जगदीप धनखड़ ने सोमवार को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है. स्वास्थ्य संबंधी कारणों को उन्होंने इस्तीफे की वजह बताया है. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेज दिया है.

जगदीप धनखड़ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस्तीफा पत्र पोस्ट करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं.

उन्होंने राष्ट्रपति के प्रति उनके अटूट समर्थन और अपने कार्यकाल के दौरान बने सुखद एवं अद्भुत कार्य संबंधों के लिए अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की.

धनखड़ ने प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी आभार जताया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत कुछ सीखा है. संसद के सभी सदस्यों से मिले स्नेह और विश्वास को उन्होंने हमेशा अपनी स्मृति में रखने की बात कही.

उन्होंने भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास को देखने और उसमें भाग लेने को अपना सौभाग्य बताया.

अब सवाल है कि जगदीप धनखड़ के बाद देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और इसके लिए क्या चुनावी प्रक्रिया अपनाई जाएगी.

उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य हिस्सा लेते हैं. खास बात यह है कि इस चुनाव में मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में ऐसा नहीं होता. राष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा सांसद और राज्य की विधानसभाओं के विधायक मतदान करते हैं.

उपराष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए, उसकी उम्र 35 साल से ज्यादा होनी चाहिए और वह राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की सारी योग्यताएं रखता हो. उम्मीदवार को जमानत राशि के रूप में 15 हजार रुपए जमा करने होते हैं. चुनाव हारने पर या 1/6 वोट नहीं मिलने पर जमानत राशि जब्त हो जाती है.

उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति (Proportional Representation System) के आधार पर होता है. मतदान के दौरान मतदाता को केवल एक वोट देना होता है, लेकिन उन्हें अपनी प्राथमिकता के आधार पर बैलेट पेपर पर पहली पसंद को 1, दूसरी को 2 और तीसरी को 3, इसी तरह प्राथमिकता तय करनी होती है.

राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक कोटा निर्धारित होता है. मतदान में जितने सदस्य हिस्सा लेते हैं, उनकी संख्या को दो से भाग कर देते हैं और फिर उसमें एक जोड़ दिया जाता है.

मतदान के बाद पहले चरण की मतगणना शुरू होती है. सबसे पहले यह देखा जाता है कि उपराष्ट्रपति के लिए पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं. अगर पहले चरण में किसी उम्मीदवार को आवश्यक कोटे के समान या उससे ऊपर वोट मिलते हैं तो उसी को विजेता घोषित कर दिया जाता है.

अगर पहले चरण में विजेता का चुनाव नहीं होता तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को मतगणना से बाहर कर दिया जाता है. लेकिन उसको पहली प्राथमिकता देने वाले मतों में देखा जाता है कि दूसरी प्राथमिकता में कौन उम्मीदवार है. तब उसकी प्राथमिकता वाले मत दूसरे उम्मीदवार में स्थानांतरित कर दिए जाते हैं.

इस प्रक्रिया में अगर किसी उम्मीदवार को आवश्यक कोटे या उससे अधिक वोट मिल जाते हैं तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है. अगर दूसरे चरण में भी उपराष्ट्रपति का चयन नहीं हो पाता तो फिर से वही प्रक्रिया शुरू की जाती है और यह तब तक चलती है जब तक विजेता का चुनाव न हो जाए.

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