भारत-चीन-रूस गठबंधन से NATO और अमेरिका में खलबली, क्या बदलेगा विश्व व्यवस्था ?
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भारत, चीन और रूस के त्रिपक्षीय संवाद को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के बीच, दुनिया विश्व व्यवस्था के मामले में कई ध्रुवों में बंट सकती है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सबसे पहले भारत-रूस-चीन (RIC) संगठन को पुनर्जीवित करने की पहल की। चीन ने भी इसे समर्थन दिया है। अब दोनों देशों को भारत का इंतजार है। लेकिन दोनों देश भारत के साथ इस संगठन को फिर से सक्रिय क्यों करना चाहते हैं? इस संगठन के पुनः सक्रिय होने से उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और अमेरिका को क्या चिंता हो सकती है?

पुतिन के इस प्रस्ताव का चीन ने पूरा समर्थन किया है। चीन ने कहा कि यह सहयोग न सिर्फ इन तीनों देशों के हितों की पूर्ति करता है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति को भी मजबूत करता है। चीन इस त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए रूस और भारत के साथ संवाद बनाए रखने के लिए तैयार है। वहीं भारत इसे लेकर कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता।

रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रेई रूडेंको के अनुसार, मॉस्को बीजिंग और नई दिल्ली के साथ इस मुद्दे पर बातचीत कर रहा है और चाहता है कि RIC फॉर्मेट अक्सर फिर से सक्रिय रूप से काम करे, क्योंकि ये तीनों BRICS के संस्थापक सदस्य हैं और महत्वपूर्ण साझेदार हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन् जिआन ने कहा कि चीन-रूस-भारत सहयोग न केवल तीनों देशों के हितों की पूर्ति करता है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति में भी योगदान देता है। भारत ने कहा है कि इस प्रारूप को फिर से शुरू करने का निर्णय सभी पक्षों के अनुकूल समय और सुविधा पर आधारित होगा।

रूस के अनुसार, RIC यूरेशियाई महाद्वीप में एक समतुल्य सुरक्षा और सहयोग ढांचा बन सकता है, जो पश्चिमी गुटों के दबाव के समय में रणनीतिक संतुलन स्थापित कर सकता है। इसमें भले ही तीन देश हैं, लेकिन तीनों देश महाशक्तिशाली होने के नाते नाटो जैसे ताकतवर हो सकते हैं। इसलिए नाटो और अमेरिका को इस संगठन से चिंता हो सकती है। अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि यह संगठन फिर से जीवंत हो।

इस कदम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक स्थितियों और वैश्विक सत्ता संतुलन में बदलाव के बीच तीनों देशों में संवाद फिर से जीवंत हो सकता है। अमेरिका को सबसे ज्यादा टेंशन इस संगठन के पुनर्जीवित होने से हो सकती है। चीन के साथ प्रबल प्रतिद्वंद्विता के चलते उसे भारत को साध कर चलना जरूरी है। मगर अमेरिका का लगाव इस दौरान पाकिस्तान के साथ अधिक होने से भारत भी उसे ट्रेलर दे रहा है।

ऐसा माना जा रहा है कि RIC के पुनर्जीवित होने के खतरे को भांप कर ही अमेरिका ने पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार टीआरएफ को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर दिया है, ताकि भारत अमेरिका के पाले से खिसक न जाए।

अमेरिका के अलावा नाटो समेत अन्य पश्चिमी देशों को इस संगठन के फिर से एक्टिव होने पर विश्व व्यवस्था बदलने की चिंता सता सकती है। तीनों ही यूरेशिया के ताकतवर देश हैं। इनमें भारत दुनिया के विभिन्न महाद्वीपों के बीच रिश्ते संतुलित करने और भरोसेमंद देश माना जाता है। ऐसे में भारत रूस और चीन के साथ मिलकर विश्व व्यवस्था को बदल सकता है। इससे दुनिया के तमाम देश विवादों समेत अन्य वैश्विक समाधान के लिए नाटो और अमेरिका के बजाय RIC की ओर रुख कर सकते हैं। इससे अमेरिका को अपनी बादशाहत मंद होने का खतरा होगा।

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