क्या पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा तुर्की से आगे की बात है?
News Image

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन से पहले साइप्रस की यात्रा कर रहे हैं। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा 15-16 जून को हो रही है।

यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और तुर्की के संबंधों में तनाव है, और तुर्की और साइप्रस के बीच विवाद जगज़ाहिर है। कुछ लोग पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा को पाकिस्तान और तुर्की के बीच घनिष्ठ संबंधों के संदर्भ में भी देख रहे हैं।

पिछले महीने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान, तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। भारत ने दावा किया था कि पाकिस्तान ने 8 मई को तुर्की निर्मित सोनगार ड्रोन से हमला किया था, हालांकि पाकिस्तान ने इस आरोप का खंडन किया।

इतना ही नहीं, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान, तुर्की दोस्ती ज़िंदाबाद! लिखा था। तुर्की पहले भी कई बार कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन कर चुका है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी साइप्रस के बाद कनाडा और क्रोएशिया भी जाएंगे। यह दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की पहली यात्रा होगी। वे साइप्रस में व्यापार जगत के लोगों से भी मुलाकात करेंगे।

साइप्रस में भारत के उच्चायुक्त मनीष ने कहा है कि भारतीय वर्षों से साइप्रस आ रहे हैं और शिपिंग और आईटी जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साइप्रस कई मुद्दों पर भारत का समर्थन करता रहा है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी भी शामिल है।

साइप्रस एक भूमध्यसागरीय द्वीप है जहाँ तुर्की और ग्रीक समुदाय के लोग रहते हैं। 1974 में, तुर्की की सेना ने इस द्वीप पर आक्रमण किया, जिसके बाद यह दो हिस्सों में बंट गया। तुर्की ने उत्तरी साइप्रस में अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है और इस क्षेत्र को एक स्व-घोषित राष्ट्र का दर्जा दिया है, जिसे केवल तुर्की ही मान्यता देता है।

तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने साइप्रस में दो राज्यों के सिद्धांत का समर्थन किया है, जिसकी इसराइल ने निंदा की है। भारत साइप्रस पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन करने और विदेशी सैनिकों को वापस बुलाने की अपील करता रहा है।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा का महत्व तुर्की के साथ संबंधों से कहीं आगे है। उनका कहना है कि यह यात्रा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) से भी जुड़ी हुई है।

यह यात्रा इस्राइल-साइप्रस-ग्रीस त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ावा दे सकती है। साथ ही, साइप्रस और इसराइल आईएमईसी के लिए समुद्र के नीचे बिछने वाली तारों के लिए बिजली भी प्रदान कर सकते हैं।

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

इजरायल-ईरान तनाव: पीएम मोदी पर भड़के अबू आजमी, कहा - जानबूझकर कर रहे हैं...

Story 1

दीदी तेरा देवर दीवाना: मियां-बीवी के सादगी भरे डांस ने जीता लोगों का दिल

Story 1

इजरायली इमारत पर ईरानी मिसाइल हमले के बाद मलबे से निकला कांपता हुआ कुत्ता, वीडियो वायरल

Story 1

संयुक्त राष्ट्र में भारत की गैर-मौजूदगी: गाज़ा पर वोटिंग से दूरी, नैतिक पतन या रणनीतिक चुप्पी?

Story 1

सीजफायर पर खान सर का बड़ा बयान: नेवी छठ पूजा करने के लिए है? कृष्ण से गांधी-भगत सिंह तक पर बोले

Story 1

पुणे पुल हादसा: मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआवजा!

Story 1

दो दिन से जारी इजराइल-ईरान लड़ाई में किसको कितना नुकसान?

Story 1

दुबई में 67 मंजिला इमारत में भीषण आग, 4000 लोग फंसे, मची अफरा-तफरी

Story 1

अहमदाबाद विमान दुर्घटना: क्या मेंटेनेंस में हुई साजिश? तुर्की ने दी सफाई

Story 1

गले में सांप लपेटा, जीभ से किया प्यार! फिर ICU में भर्ती हुआ शख्स