इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव के बीच, भारत के रुख को लेकर चर्चा हो रही है. सवाल है कि भारत इस युद्ध में किसका साथ देगा या किसकी मदद करेगा.
युद्ध शुरू होते ही भारत ने दोनों देशों से बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने का आग्रह किया. भारत ने इस मामले में तटस्थ रुख अपनाया है, क्योंकि इजरायल और ईरान दोनों ही भारत के लिए महत्वपूर्ण सहयोगी रहे हैं.
इजरायल ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का समर्थन किया था और पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई को सही ठहराया था. इजरायल ने कहा था कि भारत को आत्मरक्षा का अधिकार है.
पिछले 10 सालों में भारत और इजरायल के संबंध मजबूत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2017 में इजरायल के दौरे पर गए थे, जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला इजरायल दौरा था. आज भारत और इजरायल के बीच सैन्य सहयोग तेजी से बढ़ा है. 2015 में यह कारोबार 47 करोड़ रुपये का था, जो 2023 में बढ़कर 2252 करोड़ रुपये हो गया.
इजरायल पश्चिम एशिया में भारत का एक मजबूत साझेदार बनकर उभरा है. कृषि उत्पादन में भी इजरायल भारत की मदद कर रहा है.
वहीं, भारत और ईरान के रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. अमेरिका ने 2010 में ईरान पर प्रतिबंध लगाया, जिसके बाद भारत और ईरान के बीच कारोबार घट गया. ईरान भारत से बासमती चावल का आयात करता है, लेकिन इसमें भी गिरावट आ रही है.
हालांकि, भारत को ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित करने और उसके संचालन के लिए 2024 में 10 साल का अधिकार मिला है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने तटस्थ रुख अपनाया था, और इस बार भी भारत तटस्थ रुख ही अपना सकता है.
अब सवाल है कि इस युद्ध का असर आपकी जेब पर कैसे होगा. यदि युद्ध लंबा खिंचता है, तो आपके घर का बजट बिगड़ सकता है.
ईरान के पास पारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी है, और ईरान के बॉर्डर से सटा हुआ है स्ट्रेट ऑफ होरमुज. इस रास्ते से दुनिया की जरूरत का 25 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई होता है.
अगर इजरायल और ईरान के बीच युद्ध बढ़ता है, तो इसका असर होरमुज स्ट्रेट पर होगा और कच्चे तेल की सप्लाई में कमी आएगी. इससे दुनिया भर में कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे और भारत पर इसका असर होगा.
10 जून को कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल थी. 11 जून को इजरायल ने ईरान पर हमला किया, और 12 जून को कच्चे तेल की कीमत बढ़कर 77 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हो गई.
भारत अपनी जरूरत का 88 फीसदी कच्चा तेल अलग-अलग देशों से इंपोर्ट करता है. इजरायल-ईरान के बीच युद्ध लंबा चलने से भारत के कम से कम 36 फीसदी क्रूड इंपोर्ट पर सीधा असर होगा.
कच्चे तेल का इस्तेमाल दवा, फर्टिलाइजर, पेंट, कॉस्मेटिक जैसे 100 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बनाने में होता है.
अगर ईरान-इजरायल के बीच युद्ध लंबा चलता है, तो क्रूड की कीमत 100 डॉलर तक हो सकती है, जिससे पेट्रोल-डीजल और कई दूसरे प्रोडक्ट्स महंगे हो सकते हैं.
हालांकि, इस आपदा में भी अवसर हैं. युद्ध शुरू होते ही सोने में तेजी आई है. सर्राफा बाजार में 24 कैरेट सोने की कीमत 98 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम हो चुकी है. MCX पर वायदा कारोबार में सोने की कीमत फिर से 1 लाख रुपये को पार कर चुकी है.
#DNAWithRahulSinha | 2 देशों की जंग में भारत के हानि-लाभ पर चर्चा... भारत के लिए इजरायल-ईरान में कौन कितना जरूरी?
— Zee News (@ZeeNews) June 14, 2025
दो देशों की जंग में भारत के नफा-नुकसान का विश्लेषण#DNA #IsraelIranWar #India @RahulSinhaTV pic.twitter.com/dzMky24kET
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