2000 मिसाइलों से हमले की धमकी! इजरायल-ईरान युद्ध का भारत पर क्या होगा असर?
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मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर है। इजरायल ने ईरान पर ऑपरेशन राइजिंग लॉयन लॉन्च कर परमाणु ठिकानों और सैन्य अड्डों को निशाना बनाया।

जवाब में, ईरान ने इजरायल के खिलाफ ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 लॉन्च कर दिया है। दुनिया इस जंग को रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन दोनों देश पीछे हटने को तैयार नहीं।

ईरान की सेना ने इजरायल को चेतावनी दी है कि अगला हमला दो हजार मिसाइलों से होगा। ईरान ने कहा कि लक्ष्य पूरा होने तक ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3 जारी रहेगा।

इजरायल भी पलटवार के लिए तैयार है। IDF ने कहा है कि ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाते रहेंगे।

इजरायल ने दावा किया है कि उसके हमले में ईरान के 9 परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं और मृतकों के नाम भी जारी किए हैं।

ईरान ने भी दो सीनियर ईरानी जनरलों के मारे जाने की पुष्टि की है। इजरायली हमलों में जनरल घोलमरेजा मेहराबी और जनरल मेहदी रब्बानी मारे गए हैं।

इजरायल और ईरान के बीच दुश्मनी दशकों पुरानी है, जिसके मूल में धार्मिक, राजनीतिक और सामरिक मतभेद हैं। इजरायल, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है।

ईरान हमास और हिजबुल्लाह जैसे समूहों को समर्थन देता है, जो इजरायल के खिलाफ हमले करते हैं। 7 अक्तूबर, 2023 को हमास के हमले में 1200 इजरायली मारे गए थे, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया है।

ईरान का कहना है कि इजरायल क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाता है और उसके ठिकानों पर हमले करता है, जैसे दमिश्क में 2024 का हमला, जिसमें ईरानी कमांडर मारे गए।

इजरायल का दावा है कि ईरान कुछ ही दिनों में 15 परमाणु बम बना सकता है, जिसे रोकना जरूरी था। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनके हमले परमाणु ठिकानों को नष्ट करने के लिए हैं, ताकि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोका जा सके।

अब सवाल यह है कि अगर दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ता है, तो भारत पर क्या असर पड़ेगा?

भारत इजरायल और ईरान दोनों देशों के साथ दोस्ती निभाता है। इजरायल से भारत को हथियार, ड्रोन, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और साइबर सुरक्षा तकनीक मिलती है, तो ईरान तेल आपूर्तिकर्ता है।

भारत अपनी 85% तेल की जरूरत आयात से पूरी करता है। इजरायल और ईरान में युद्ध हुआ तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें और महंगाई दोनों बढ़ेंगी।

पूर्व भारतीय राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा है कि इजरायल के प्रधानमंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी को हालात की पूरी जानकारी दी है। भारत ने बातचीत से मुद्दे को हल करने की सलाह दी होगी।

अगर ये युद्ध बढ़ता है और भी देश इसमें शामिल होते हैं, तो ये विश्व के लिए चिंता का विषय होगा। इसका विश्व की शांति और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।

पश्चिम एशिया में करीब 90 लाख भारतीय हैं, वहां से 50 प्रतिशत से ज्यादा मात्रा में हमारी एनर्जी आती है। इसलिए वहां पर स्थायित्व होना और युद्ध नहीं होना हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है।

इसके अलावा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो गुजरात से यूएई, सऊदी अरब और इजरायल होते हुए यूरोप तक व्यापार को आसान बनाएगी। दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति में इस परियोजना की समयसीमा बिगड़ सकती है।

रूस और चीन जैसे देश अगर ईरान के साथ खड़े हो गए तो वैश्विक ध्रुवीकरण बढ़ेगा। ये युद्ध वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति को बाधित कर सकता है।

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