विमान राख, गीता सलामत: अहमदाबाद हादसे में चमत्कार!
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12 जून 2025 को अहमदाबाद में एक भीषण विमान हादसा हुआ। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकरा गई।

इस दर्दनाक हादसे में 241 यात्रियों की जान चली गई, जिनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे।

इस त्रासदी के बीच, दो बातें विशेष रूप से ध्यान खींच रही हैं: एकमात्र जीवित बचे यात्री रमेश विश्वाशकुमार, और मलबे में पूरी तरह सुरक्षित मिली भगवद गीता।

रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग समाप्त हो चुका है। हादसे के बाद विमान के मलबे से उठी आग और धुएं ने पूरे इलाके को तबाह कर दिया था।

रेस्क्यू टीमें दिन-रात मलबे में फंसे लोगों को निकालने में लगी रहीं। सिर्फ एक यात्री, रमेश विश्वाशकुमार, को जीवित बचाया जा सका।

रमेश, जो फ्लाइट AI-171 की सीट 11A पर आपातकालीन द्वार के पास बैठे थे, समय रहते विमान से कूद गए। उनकी किस्मत और सूझबूझ ने उन्हें मौत के मुंह से बचा लिया।

हादसे के मलबे में, जहां सब कुछ जलकर राख हो गया, रेस्क्यू टीम को एक भगवद गीता मिली, जो पूरी तरह सुरक्षित थी। संभवतः कोई यात्री इस पवित्र ग्रंथ को अपने साथ लेकर यात्रा कर रहा था।

टूटे-फूटे सामान और जले हुए मलबे के बीच भगवद गीता का बिना किसी नुकसान के मिलना, लोगों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है।

एक वायरल वीडियो में एक शख्स मलबे के बीच से गीता के पन्ने दिखाते हुए नजर आ रहा है, जिसने सोशल मीडिया पर लोगों की आस्था को और गहरा कर दिया है।

यह ग्रंथ अब न केवल एक किताब, बल्कि श्रद्धा और उम्मीद का प्रतीक बन गया है।

सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। लोग इसे न सिर्फ चमत्कारी मान रहे हैं, बल्कि इसे भगवद गीता की शक्ति और आध्यात्मिक महत्व से जोड़कर देख रहे हैं।

कई यूजर्स ने लिखा कि इस त्रासदी में गीता का सुरक्षित रहना ईश्वर की मौजूदगी का संकेत है।

वहीं, कुछ ने इसे संयोग मात्र बताया, लेकिन यह बात निर्विवाद है कि इस घटना ने लोगों के दिलों को छू लिया है।

हादसे की खबर फैलते ही लंदन के एक हिंदू मंदिर में करीब 100 लोग इकट्ठा हुए। उन्होंने मृतकों की आत्मा की शांति और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना की।

योगविवेकदास स्वामी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, यह दुख की घड़ी है, लेकिन प्रार्थना और एकजुटता ही हमें इस दर्द से उबरने की ताकत देगी।

उन्होंने भगवद गीता के संदेश का जिक्र करते हुए कहा कि आत्मा अमर है और यह समय आत्मचिंतन का है।

फ्लाइट AI-171 में सवार 242 यात्रियों में से सिर्फ रमेश विश्वाशकुमार ही जीवित बचे। उनकी कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है।

आपातकालीन द्वार के पास बैठे होने की वजह से वे समय रहते बाहर निकल पाए।

रमेश की यह कहानी न केवल हौसले की मिसाल है, बल्कि यह भी बताती है कि मुश्किल हालात में सही निर्णय कितना महत्वपूर्ण होता है।

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