नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा होते ही लोकसभा उपाध्यक्ष के चुनाव की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर इस पद का चुनाव जल्द कराने की मांग की है. खरगे ने पद के खाली रहने को संविधान के खिलाफ बताया है. यह पद 17वीं लोकसभा से ही खाली है.
खरगे ने अपने पत्र में लिखा है कि पहली से लेकर 16वीं लोकसभा तक उपाध्यक्ष चुना जाता रहा है और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को यह पद देने की परंपरा रही है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यह पद लगातार दो लोकसभा कार्यकाल से खाली है.
खरगे ने आगे लिखा कि संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों के चुनाव का प्रावधान है. संवैधानिक रूप से, उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के बाद सदन का दूसरा सबसे बड़ा पीठासीन अधिकारी होता है. लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद खाली रहना भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं है और यह संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है.
पिछले साल 18वीं लोकसभा के गठन के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव कराया गया था. विपक्ष ने अध्यक्ष पद के चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया था क्योंकि सरकार की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला था. बीजेपी के ओम बिरला अध्यक्ष चुने गए थे.
लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव तो हो गया, लेकिन लोकसभा उपाध्यक्ष का पद अभी तक नहीं भरा गया है. यह पद विपक्ष को मिलने की परंपरा रही है, लेकिन मोदी सरकार ने इसका पालन नहीं किया है. 2019 में 17वीं लोकसभा में भी यह पद खाली रह गया था.
लोकसभा में अब तक 14 उपाध्यक्ष रह चुके हैं. यह पद विपक्ष को देने की परंपरा इसलिए रही है ताकि संसद में संतुलन और निष्पक्षता बनी रहे, हालांकि ऐसा करना संवैधानिक रूप से बाध्यकारी नहीं है.
18वीं लोकसभा में बीजेपी के पास 240 सीटें हैं और उसे जेडीयू, तेदेपा समेत कई दलों का समर्थन हासिल है, जिससे सदन में उसके पास 293 सदस्यों का समर्थन है. वहीं, कांग्रेस के पास 99 सदस्य हैं और समाजवादी पार्टी के पास 37 सदस्य हैं. इस तरह सदन में अभी भी सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी है.
संविधान में लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था अनुच्छेद 93 में दी गई है, जिसमें कहा गया है कि लोकसभा के सदस्य अपने दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनेंगे. अगर इन दोनों में से कोई भी पद रिक्त होता है तो सदन उसका जल्द से जल्द फिर चुनाव करेगा, लेकिन यह नहीं बताया गया है कि चुनाव कितनी समय में करा लिया जाना चाहिए.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार विपक्ष को सदन में और ताकतवर नहीं बनाना चाहती है.
My letter to PM Shri @narendramodi on the urgency to initiate the process of electing a Deputy Speaker of Lok Sabha without any further delay.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 10, 2025
From the First to the Sixteenth Lok Sabha, every House has had a Deputy Speaker. By and large, it has been a well-established… pic.twitter.com/WUyIPlTVqx
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