जातिगत जनगणना: राहुल गाँधी के लिए बन गई गले की हड्डी, कर्नाटक सरकार ही झुलसी!
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कर्नाटक में जातिगत जनगणना का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है. कॉन्ग्रेस, जो इसे सामाजिक न्याय का चेहरा बताती रही है, अब खुद अपने जाल में फंसती दिख रही है.

राहुल गाँधी, जो इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर भुनाने की कोशिश कर रहे थे, कर्नाटक में उलझने से मुश्किल में हैं. डीके शिवकुमार के ताजा बयानों और कॉन्ग्रेस हाईकमान के यू-टर्न से पार्टी बैकफुट पर है. बीजेपी इसे कॉन्ग्रेस की नाकामी और ध्यान भटकाने की चाल बता रही है.

10 जून 2025 को कर्नाटक सरकार ने फिर से जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया. सवाल यह है कि जब 2015 का सर्वे तैयार है, तो क्यों दोबारा जनगणना?

दरअसल, 2015 की रिपोर्ट में लिंगायत और वोक्कालिगा जातियों की आबादी को कम आंका गया था, जिससे वे नाराज हैं. सर्वे में मुस्लिम आबादी में भी भारी बढ़ोतरी दिखाई गई, जिससे विवाद बढ़ गया.

2015 की जातिगत जनगणना रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए:

इस रिपोर्ट से कॉन्ग्रेस की मुश्किलें बढ़ गईं. लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों ने इसे अन्याय बताया.

कॉन्ग्रेस ने 2013 में जातिगत जनगणना शुरू की थी और इसे सामाजिक न्याय का ऐतिहासिक कदम बताया था. राहुल गाँधी ने भी आरक्षण की 50% सीमा को तोड़ने की बात कही थी.

लेकिन 2024 में रिपोर्ट आने के बाद कॉन्ग्रेस के सामने दोहरी चुनौती थी: प्रभावशाली समुदायों का विरोध और पार्टी के भीतर का अंतर्विरोध.

डीके शिवकुमार ने कहा कि वे सबको साथ लेकर चलेंगे . उन्होंने कहा कि जनगणना का डेटा 10 साल पुराना है और हर वर्ग को बोलने का मौका दिया जाएगा.

बीजेपी ने इसे कॉन्ग्रेस की नाकामी और सियासी ड्रामेबाजी करार दिया. बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि कॉन्ग्रेस लोगों का ध्यान भटकाने की साजिश कर रही है.

राहुल गाँधी का जंजाल यह है कि वो राष्ट्रीय स्तर पर तो जातिगत जनगणना का ढोल पीट रहे हैं, लेकिन कर्नाटक में उनकी अपनी सरकार इसे लागू करने में नाकाम रही है.

कॉन्ग्रेस की रणनीति हमेशा से अहिन्दा (अल्पसंख्यक, OBC और दलित) वोटबैंक को मजबूत करने की रही है. 2015 की जनगणना में OBC और मुस्लिम आरक्षण बढ़ाने की सिफारिश इसी रणनीति का हिस्सा थी.

लेकिन अब ये रणनीति उलटी पड़ रही है. लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों का विरोध कॉन्ग्रेस के लिए सिरदर्द बन गया है.

कर्नाटक में जातिगत जनगणना का मुद्दा कॉन्ग्रेस के लिए दोधारी तलवार बन गया है. राहुल गाँधी, जो इसे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सियासी पहचान बनाना चाहते थे, अब खुद इस जंजाल में फँसते जा रहे हैं.

क्या कॉन्ग्रेस वाकई सामाजिक न्याय की बात करती है, या ये सिर्फ वोटबैंक की राजनीति है? राहुल गाँधी का जाति ब्रेकिंग न्यूज वाला ड्रामा अब उनके लिए जंजाल बन गया है, और कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की ये उलझन आने वाले दिनों में और गहरा सकती है.

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