भीषण गर्मी ने राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश में लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मौसम विभाग जलवायु परिवर्तन को लेकर लगातार चिंता व्यक्त कर रहा है। इस बीच, दार्शनिक और लेखक आचार्य प्रशांत ने बढ़ती गर्मी को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी की है।
आचार्य प्रशांत का कहना है कि लगातार बढ़ रहे चरम मौसमी हालात और तापमान में वृद्धि सामान्य सिरदर्द नहीं, बल्कि एक कैंसर है, जो पृथ्वी के विनाश का कारण बन सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि वर्तमान पर्यावरणीय संकट कोई छोटी-मोटी समस्या नहीं है, बल्कि सामूहिक विलुप्ति का संकेत है। यह सिरदर्द नहीं है, यह कैंसर है।
आचार्य प्रशांत का यह बयान न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह हमें अपने पर्यावरणीय कदमों पर गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर करता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह खतरा किसी दूर के भविष्य में नहीं है, बल्कि अभी मौजूद है।
आचार्य प्रशांत के अनुसार, लोग इस भ्रम में जी रहे हैं कि छोटे-मोटे कदम, जैसे कि एयर कंडीशनर का तापमान 22 डिग्री से 25 डिग्री सेल्सियस करना, पर्यावरण को बचाने में मदद करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह केवल नैतिकता का दिखावा है। वास्तव में, हमें बड़े और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत में गर्मी की लहरें और चरम मौसमी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। मौसम विभाग के अनुसार, 2024 में भारत के कई हिस्सों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, जो सामान्य से 4-6 डिग्री अधिक था।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित नहीं किया गया, तो 2030 तक भारत में 4.5 करोड़ लोग अत्यधिक गर्मी के कारण प्रभावित हो सकते हैं।
आचार्य प्रशांत ने लोगों की उस मानसिकता पर सवाल उठाया है जो छोटे बदलावों को पर्यावरण संरक्षण का हल मानती है। हम सोचते हैं कि अगर हम बाहरी दुनिया में कुछ कदम उठाएंगे, तो हम जलवायु परिवर्तन से निपट लेंगे। यह एक भ्रम है।
उनके अनुसार, जलवायु संकट से निपटने के लिए, हमें अपनी जीवनशैली, उपभोग की आदतों और औद्योगिक नीतियों में बड़े बदलाव करने होंगे।
#WATCH | Greater Noida, UP: Philosopher and Author Acharya Prashant says, Extreme weather events will continue to happen... what is happening is not a minor disaster... It is a mass extinction. It is not a headache; it is a cancer... It is a matter of the destruction of the… pic.twitter.com/dq3O0aY5kU
— ANI (@ANI) June 9, 2025
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