चिराग का 243 सीटों पर ऐलान: NDA में खलबली, JDU-BJP में बेचैनी!
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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने 2025 के विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर दिया है। इस घोषणा ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है।

चिराग ने कहा कि 2025 में उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, ताकि एनडीए को मजबूत किया जा सके। उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान के सपनों का हवाला देते हुए कहा कि यह फैसला जनता के सुझाव पर होगा।

चिराग के इस ऐलान से एनडीए के भीतर खलबली मच गई है। 2020 में एलजेपी ने अकेले चुनाव लड़कर जेडीयू को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। इस बार सीट बंटवारे को लेकर पहले से ही एनडीए में खींचतान चल रही है।

भाजपा और जेडीयू के बीच सीटों का फार्मूला लगभग तय है - बीजेपी (101-102), जेडीयू (102-103), जबकि बाकी एलजेपी, HAM और RLSP को मिलनी हैं। चिराग की 30-50 सीटों की मांग और अब 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात से जेडीयू और बीजेपी दोनों असहज हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, चिराग का यह दांव दबाव बनाने की रणनीति है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें जीतने के बाद उनकी हैसियत बढ़ी है। अब वे खुद को ‘बिहार का एक्स-फैक्टर’ समझते हैं।

माना जा रहा है कि चिराग 2005 की तरह किंगमेकर की भूमिका में आना चाहते हैं, जब उनके पिता ने 29 सीटें जीतकर सत्ता की चाबी अपने पास रखी थी। उनका नारा बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट युवाओं में लोकप्रिय हो रहा है।

हाल ही में खबर आई है कि चिराग पासवान शाहाबाद से चुनाव लड़ सकते हैं। उनके बहनोई और सांसद अरुण भारती ने पुष्टि की कि वहां नव संकल्प महासभा आयोजित की जाएगी, जो उनकी चुनावी जमीन तैयार करने का इशारा है।

पासवान समुदाय बिहार की दूसरी सबसे बड़ी जाति है (5.31%) और चिराग इस वोट बैंक को पूरी तरह साधने में जुटे हैं। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्ष भी अपनी रणनीति पर काम कर रहा है, लेकिन चिराग की इस घोषणा ने विपक्ष को भी सतर्क कर दिया है।

एनडीए की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार बीजेपी और जेडीयू के बीच बंद कमरे में बैठकें शुरू हो चुकी हैं।

सवाल यह है कि क्या चिराग को एनडीए में बड़ी भूमिका दी जाएगी, या यह टकराव 2020 की तरह परिणाम लाएगा?

243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा एक राजनीतिक स्टंट भर नहीं है, बल्कि एनडीए को झुकाने की चिराग की बड़ी चाल है। अगर उनका दबाव काम करता है, तो वे एनडीए में बड़ी हिस्सेदारी पा सकते हैं। अगर नहीं, तो बिहार में फिर से वोट कटवा और नुकसानदायक भूमिका में आ सकते हैं। फिलहाल, बिहार की सियासत चिराग के हर अगले कदम पर नजर गड़ाए हुए है।

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