जीत का जश्न मैदान से निकल हर गली, मोहल्ले और शहर में गूंजता है. लेकिन उस जीत का क्या, जो किसी के जीवन की अंतिम याद बन जाए? RCB की 18 साल बाद पहली IPL ट्रॉफी जीतने की खुशी, कुछ परिवारों के लिए हमेशा के अंधेरे में बदल गई.
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर का जोश, हुजूम और चीखें, देखते ही देखते चीख-पुकार और मातम में बदल गईं. उस भीड़ में एक 21 साल का लड़का भी शामिल था, भविष्य के सपनों से भरा, RCB का दीवाना फैन. अब वो एक कब्र बन चुका है.
उसका पिता, बीटी लक्ष्मण, कब्र से लिपटकर रो रहा है. उसे गले लगाने के लिए तड़प रहा है. कब्र पर बिलख-बिलखकर रो रहा है, मानो उसका कलेजा कोई काट रहा हो. कोई उसे पकड़ने की कोशिश करता है, तो वह कहता है, मुझे कहीं और नहीं जाना, मैं यहीं रहना चाहता हूं.
यह कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं है, यह उस लापरवाही की कीमत है जिसे सरकार और सिस्टम ने नजरअंदाज कर दिया. ये आंसू सिर्फ एक पिता के नहीं हैं. ये उन तस्वीरों पर सवाल हैं जो जीत की ट्रॉफी के साथ खिंचवाई गईं, जिनमें दर्द का कोई अक्स नहीं था.
मेरे बेटे के साथ जो कुछ हुआ, वह किसी और के साथ नहीं होना चाहिए, लक्ष्मण अपने बेटे की कब्र के पास रोते हुए कह रहे हैं. मैंने जो जमीन उसके लिए खरीदी थी, वहीं उसका स्मारक बनाया गया है. मैं यहीं रहूंगा, कहीं नहीं जाऊंगा.
लक्ष्मण ने वहां से जाने से इनकार कर दिया और कहा, मैं अब कहीं और नहीं जाना चाहता, मैं यहीं रहना चाहता हूं. कोई भी पिता उस दर्द का सामना न करे जो मैं सह रहा हूं.
भूमिक, अंतिम वर्ष का इंजीनियरिंग छात्र था. वह उन हजारों लोगों में शामिल था जो चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जमा हुए थे, ताकि आईपीएल खिताब जीतने वाली आरसीबी टीम के खिलाड़ियों को जश्न मनाते हुए देख सकें. वह 11 मृतकों में से एक था, जिनमें एक 14 वर्षीय लड़की भी शामिल थी.
इस हादसे के बाद लक्ष्मण ने सरकार से अपील की थी कि उनके बेटे के शव का पोस्टमार्टम न किया जाए. मेरा एक ही बेटा था, और अब वह भी चला गया. कृपया मुझे उसका शव दें, पोस्टमार्टम न करें और उसके शरीर को टुकड़े-टुकड़े न करें. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री हमारे पास आ सकते हैं, लेकिन वह मेरे बेटे को वापस नहीं ला सकते.
भाजपा ने इस घटना का वीडियो साझा करते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पर लापरवाही का आरोप लगाया है. अगर आप चाहते तो किसी ऐशो-आराम वाले होटल में अपने बच्चों और पोते-पोतियों के साथ कप के साथ फोटो खिंचवा सकते थे. लेकिन आपका अड़ियल फैसला कि फोटो तो सिर्फ विधानसौधा की सीढ़ियों पर ही लेनी है, उसने 11 परिवारों को रोज़-रोज़ आंसुओं में हाथ धोने को मजबूर कर दिया है. जो पिता अपने बेटे की कब्र के सामने बैठकर बिलख रहा है... क्या आप उसे उसका बेटा वापस लौटा सकते हैं..?
मैं यहीं रहूंगा, कहीं नहीं जाऊंगा; भगदड़ में मारे गए बेटे की कब्र पर बिलखता रहा पिता
— Sagar Dwivedi (@SagarDw68821288) June 7, 2025
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