बिहार के गया जिले के गहलौर गांव में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की यात्रा विवादों में घिर गई है। 6 जून, 2025 को उन्होंने माउंटेन मैन दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी और उनके परिवार से मुलाकात की।
कांग्रेस ने राहुल गांधी की मांझी परिवार के साथ टूटे-फूटे घर में बैठे हुए तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की। लेकिन जो तस्वीर नहीं दिखाई गई, वह चौंकाने वाली थी।
उसी झोपड़ी के बाहर राहुल गांधी के लिए एक आलीशान, अस्थायी लग्जरी टॉयलेट तैयार किया गया था।
राहुल गांधी की इस मुलाकात का उद्देश्य समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के प्रति सहानुभूति जताना और सामाजिक न्याय की बात करना बताया गया। लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों और वीडियो ने सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या यह वास्तव में गरीबों के साथ खड़ा होने की कोशिश थी या फिर एक सुव्यवस्थित पब्लिसिटी स्टंट?
मांझी परिवार की झोपड़ी के बाहर बनाए गए लग्जरी टॉयलेट में लाल कालीन, पैर पोछने के लिए कालीन, मिरर और वेस्टर्न टॉयलेट जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं। यह बाथरूम केवल राहुल गांधी के इस्तेमाल के लिए था, जिस पर VIP टॉयलेट लिखा था। कहा जा रहा है कि यह बाथरूम 2 घंटे में बनाकर तैयार किया गया था और राहुल गांधी के वहां से जाते ही इसे हटा दिया गया।
दूसरी ओर, दशरथ मांझी के परिवार का कहना है कि उनके पास आज भी सरकार द्वारा दिया गया कोई शौचालय नहीं है।
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों ने कई तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा है कि क्या गरीबों की गरीबी पर फोटो खिंचवाना और दिखावे की सहानुभूति जताना ही आज की राजनीति बन गई है?
कुछ यूजर्स ने यह भी कहा कि राहुल गांधी को दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी से मिलना था, जिनका परिवार आज भी मिट्टी के कच्चे मकान में रहता है। लेकिन राहुल गांधी की टीम ने उनके लिए आलीशान सुविधा का इंतजाम कराया, मानो वह गरीबी देखने नहीं बल्कि एक मीडिया इवेंट में शामिल होने आए हों।
अन्य यूजर्स ने कहा कि यह घटना उस राजनीतिक पाखंड का उदाहरण है जिसमें नेता गरीबों के नाम पर वोट मांगते हैं, लेकिन उन्हीं के घर जाकर भी अपने लिए पांच सितारा सुविधा चाहते हैं।
कई लोगों ने यह सवाल भी उठाया है कि अगर राहुल गांधी सच में समानता और सामाजिक न्याय के पक्षधर हैं, तो क्या वह मांझी परिवार के साथ समान परिस्थितियों में कुछ घंटे नहीं बिता सकते थे? क्या जो शौचालय सबके लिए था, वो उन्हें अपमानजनक लगा? अगर नहीं, तो फिर विशेष बाथरूम का क्या औचित्य था?
राहुल गांधी की यह यात्रा इंस्टाग्राम पोस्ट और चुनावी भाषणों के लिए एक मंच बन गई या नहीं, यह सवाल बना हुआ है। दशरथ मांझी, जिन्होंने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया, उनके परिवार के लिए वास्तविक सम्मान तब होगा जब उनका जीवन स्तर ऊपर उठेगा, न कि तब जब कोई नेता उनके टूटे घर के सामने अपने लिए महंगे टॉयलेट बनवाकर हमदर्दी का प्रदर्शन करे। क्या राहुल गांधी ने दशरथ मांझी के संघर्ष को समझा, या उसे भी राजनीति का स्पॉटलाइट बना दिया?
नेता विपक्ष @RahulGandhi जी ने दशरथ मांझी जी के पुत्र भागीरथ मांझी जी और उनके परिवार से मुलाकात की।
— Bihar Congress (@INCBihar) June 6, 2025
दशरथ मांझी जी का जीवन एक संदेश है कि अगर ठान लिया जाए तो पहाड़ जैसी मुश्किलों को भी करारी शिकस्त दी जा सकती है।
📍 गया, बिहार pic.twitter.com/CTqx4Rh3Au
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