बेंगलुरु में खूनी जश्न: RCB की जीत का उन्माद बना मातम, 11 की मौत, कोलकाता की यादें ताज़ा!
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बेंगलुरु में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की 18 साल बाद आईपीएल जीतने के जश्न में हुई भगदड़ ने 11 लोगों की जान ले ली। कई लोग घायल भी हुए हैं। इस हादसे ने 45 साल पहले कोलकाता के ईडन गार्डन्स में हुए दर्दनाक हादसे की याद दिला दी, जहां खेल के प्रति जुनून, बेकाबू भीड़ और अव्यवस्था के कारण 16 लोगों की मौत हो गई थी।

बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई इस घटना के बाद कर्नाटक सरकार और क्रिकेट एसोसिएशन पर अव्यवस्था के आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि RCB की जीत के बाद उमड़ी भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए थे। वहीं, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया है।

RCB की जीत के बाद 4 जून को बेंगलुरु में एक विक्ट्री परेड का आयोजन किया गया था। पहले यह ओपन बस में होनी थी, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया। इस हादसे पर RCB फ्रेंचाइजी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर दुख जताया है।

कोलकाता में 16 अगस्त 1980 को ईडन गार्डन्स में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच हुए फुटबॉल मैच में भी ऐसा ही मंजर देखने को मिला था। उस दिन दो टीमों के प्रशंसकों के बीच हुई झड़प में 16 लोगों की मौत हो गई थी।

उस मैच में 70,000 से अधिक दर्शक मौजूद थे। मोहन बागान के खिलाड़ी बिदेश बसु को ईस्ट बंगाल के खिलाड़ी दिलीप पालित ने गिरा दिया था, जिसके बाद दर्शकों में तनाव फैल गया। दोनों तरफ से पत्थरबाजी हुई और भगदड़ मच गई, जिसमें 16 लोगों की जान चली गई।

9 दिसंबर 2012 को भी कोलकाता में इसी तरह की घटना होते-होते बची थी, जब मोहन बागान के रहीम नबी के माथे पर विपक्षी टीम के स्टैंड से एक पत्थर आकर लगा था। इस घटना के बाद मैच रद्द कर दिया गया और झड़पों में 40 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

1969 में ऑस्ट्रेलिया की भारत में टेस्ट सीरीज के दौरान भी कोलकाता और मुंबई के स्टेडियम में दर्शकों के हंगामे की घटनाएं हुई थीं। मुंबई में एस वेंकटराघवन के विवादास्पद निर्णय के बाद दर्शक भड़क गए थे, जबकि कोलकाता में स्टेडियम की क्षमता से अधिक टिकट छपने के कारण भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई थी।

खेल आयोजनों में दर्शकों की भगदड़ की अन्य बड़ी घटनाओं में हिल्सबोरो (1989), हेसेल स्टेडियम आपदा (1985), लीमा स्टेडियम दंगे (1964), लुज्निकी स्टेडियम (1982) और हौफोएट-बोइग्नी भगदड़ (2009) शामिल हैं। इन घटनाओं में सैकड़ों लोगों की जान गई है।

बेंगलुरु और कोलकाता की घटनाएं खेल आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम करने की आवश्यकता को दर्शाती हैं। खेल के प्रति जुनून को बेकाबू होने से रोकने और दर्शकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आयोजकों को सतर्क रहना होगा।

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