ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत और पाकिस्तान दोनों ने वैश्विक स्तर पर अपना पक्ष मजबूत करने के लिए राजनयिक अभियान शुरू किए हैं.
भारत ने सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों को दुनिया की 33 राजधानियों में भेजा. इस मिशन का उद्देश्य पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधों को उजागर करना था. भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपनाएगा और पाकिस्तान के न्यूक्लियर ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यदि पाकिस्तान भविष्य में भारत में आतंकवादी हमलों में शामिल पाया गया, तो उसे सजा भुगतनी पड़ेगी.
पाकिस्तान ने भी अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूयॉर्क, लंदन और ब्रुसेल्स जैसे स्थानों पर अपने प्रतिनिधिमंडल भेजे, जिनका नेतृत्व बिलावल भुट्टो जरदारी जैसे नेता कर रहे हैं. लेकिन पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल समस्या की मूल वजह, आतंकवाद पर ठोस चर्चा करने के बजाय भारत के खिलाफ चुगली मिशन पर लग गया है.
बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में अमेरिका पहुंची पाकिस्तानी टीम हो या शहबाज शरीफ के विशेष सहायक सैयद तारिक फातमी के नेतृत्व में रूस पहुंची टीम, ये प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान की वैश्विक छवि को जिम्मेदार देश के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि भारत को आक्रामक और क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं.
पाकिस्तान का दावा है वह अपने आउटरिच मिशन में भारत की आक्रामकता को उजागर कर रहा है और शांति के लिए बातचीत करना चाहता है. पाकिस्तान का राजनयिक अभियान भारत के सैन्य हमलों को गैरकानूनी और आक्रामक ठहराने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान यह भी कह रहा है कि भारत ने सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया है, जो उनके वजूद का सवाल है.
बिलावल भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत पाकिस्तान पर जल युद्ध थोप रहा है. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि भारत ऐसा करने पर क्यों मजबूर हुआ. उन्होंने यह भी नहीं बताया कि पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते की बुनियाद परस्पर विश्वास और गुडविल को अपनी आतंक की नीति से कैसे सालों तक चोट पहुंचाई.
ताजिकिस्तान में भारत के मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद से परिस्थितियों में मूलभूत परिवर्तन हुए हैं, जिसके लिए अब संधि दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है. ये परिवर्तन हैं तकनीकी प्रगति, जनसांख्यिकीय परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन और सीमा पार आतंकवाद का खतरा.
भारत का अभियान आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का हिस्सा है और उसे सऊदी अरब, इटली, इंडोनेशिया और फ्रांस जैसे देशों से समर्थन मिला है. भारत का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर में उसकी कार्रवाइयां आत्मरक्षा में थीं और उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझाने की कोशिश की है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है.
पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल इस्लामिक देशों के संगठन (ओआईसी) से भी मिला. बिलावल भुट्टो ने ओआईसी सदस्यों से भारत के साथ अपने अच्छे संबंधों का इस्तेमाल करते हुए उसे पाकिस्तान से बात करने के लिए कहने का आग्रह किया, क्योंकि भारत ने सिंधु जल समझौते के तहत मिलने वाला पानी रोक दिया है.
ब्राजील गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के चीफ शशि थरूर ने जवाब दिया कि पाकिस्तान अपने देश में मौजूद आतंकी ढांचे पर नकेल कसे, फिर बातचीत हो सकती है. उन्होंने पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान उतना ही निर्दोष है जितना वह दावा करते हैं, तो वे वांटेड आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह क्यों देते हैं? वे वहां बिना डर क्यों रह पाते हैं? प्रशिक्षण शिविर क्यों चला पाते हैं? और लोगों को कट्टरपंथी क्यों बना पाते हैं?
शशि थरूर ने कहा, हम पाकिस्तानियों से हर भाषा में बात कर सकते हैं. हम हिंदुस्तानी में बात कर सकते हैं. हम उनसे पंजाबी में बात कर सकते हैं. हम उनसे अंग्रेजी में बात कर सकते हैं. पाकिस्तान के साथ साझा आधार खोजने में कोई समस्या नहीं है. समस्या शालीनता, शांति के लिए एक साझा दृष्टिकोण खोजने की है.
शशि थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने कोलंबिया, ब्राजील, पनामा और अन्य देशों में जाकर पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों के आतंकी अंतिम संस्कार में शामिल होने जैसे सबूत पेश किए हैं. भारत का दावा है कि उसने पहलगाम हमले के बाद 15 दिन तक इंतजार किया, लेकिन पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण ऑपरेशन सिन्दूर शुरू हुआ.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के विशेष सहायक सैयद तारिक फातमी ने 3 मई को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. फातमी ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने का मुद्दा उठाया, लेकिन उनके पास भी भारत की चिंताओं का कोई जवाब नहीं था. उन्होंने विदेश मंत्री लावरोव को राष्ट्रपति पुतिन के नाम लिखा गया शहबाज शरीफ का एक पत्र सौंपा.
भारत और पाकिस्तान दोनों देश वैश्विक मंच पर अपनी कहानी को आकार देने की कोशिश कर रहे हैं. भारत के पास दुनिया को बताने के लिए पहलगाम आतंकी हमले की दुखद कहानी है, जहां 26 बेकसूर लोगों को आतंकियों ने गोली मार दी थी. पाकिस्तान खुले आम कश्मीर को गले की नस बताता है और इसे विभाजन का अधूरा एजेंडा बताता है. यही वजह है कि भारत के अभियान को आतंकवाद-विरोधी कथानक के कारण अधिक समर्थन मिलता है, जबकि पाकिस्तान के पास आतंकवाद के विरुद्ध उठाए गए कदम के रूप में दिखाने को कुछ भी नहीं है.
At the beginning of his visit to the Russian Federation, Special Assistant to the Prime Minister (SAPM), Syed Tariq Fatemi, called on Russian Foreign Minister Sergey Lavrov this afternoon.
— Ministry of Foreign Affairs - Pakistan (@ForeignOfficePk) June 3, 2025
The SAPM conveyed the Prime Minister’s warm greetings and reiterated the Pakistani… pic.twitter.com/d3O1OogKq0
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