संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान को फटकारा, पाकिस्तानी आतंकवाद का शिकार मुख्य रूप से नागरिक
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर लताड़ा। भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है और आतंकवादी समूहों का समर्थन करता है।

भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाने से बचे। भारत ने यह बयान पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा नागरिकों की सुरक्षा पर दिए गए भाषण के जवाब में दिया।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, पी. हरीश ने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह वही देश है जिसने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों और नागरिकों के बीच कोई अंतर नहीं रखा है, और ऐसे देश को नागरिकों की सुरक्षा पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।

पी. हरीश ने कहा, भारत ने दशकों से अपनी सीमाओं पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलों का सामना किया है। इनमें मुंबई शहर पर हुए 26/11 के भयानक हमले से लेकर अप्रैल 2025 में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की बर्बर सामूहिक हत्या तक शामिल है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तानी आतंकवाद के शिकार मुख्य रूप से नागरिक रहे हैं, क्योंकि इसका उद्देश्य हमारी समृद्धि, प्रगति और मनोबल पर हमला करना रहा है।

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा, यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अपमान है कि एक ऐसा देश नागरिकों की सुरक्षा पर चर्चा में भाग ले रहा है जो आतंकवाद को बढ़ावा देता है और नागरिकों को ढाल के रूप में इस्तेमाल करता है। उन्होंने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के निशाने पर आए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में पाकिस्तानी सरकार, पुलिस और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति का भी उल्लेख किया।

पी. हरीश ने पाकिस्तानी सेना द्वारा इस महीने की शुरुआत में जानबूझकर भारतीय सीमावर्ती गांवों को निशाना बनाने का भी उल्लेख किया, जिसमें 20 से ज़्यादा नागरिक मारे गए और 80 से ज़्यादा घायल हुए। उन्होंने गुरुद्वारों, मंदिरों और कॉन्वेंट जैसे पूजा स्थलों को जानबूझकर निशाना बनाने की भी निंदा की।

उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी चाहिए और आतंकवाद को प्रायोजित करने और उसका बचाव करने वालों को अलग-थलग करना चाहिए। नागरिकों की सुरक्षा को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों की सुरक्षा के लिए तर्क के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

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