अगर आप 100 ऐसे लोगों से बात करें जो रोजाना कार से दफ्तर जाते हैं, तो संभवतः 90 लोग ई-रिक्शा के कारण जाम, टक्कर, कट मारना, स्क्रैच या भिड़ंत का शिकार हुए होंगे। ई-रिक्शा, जो शुरू में यातायात के लिए वरदान माने जा रहे थे, अब कई शहरों में जाम का मुख्य कारण बन गए हैं। न तो स्थानीय प्रशासन इस पर ध्यान दे रहा है और न ही कोई नियम लागू होता दिख रहा है।
2023 में ई-रिक्शा चालकों के आतंक को देखते हुए नोएडा प्रशासन ने कलर कोडिंग और रूट निर्धारित करने की योजना बनाई थी। यह कहा गया कि एक विशेष रंग के ई-रिक्शा ही एक विशेष रूट पर चलेंगे। लेकिन न तो कलर कोड लागू हुआ और न ही रूट का पता चला। दो साल बाद भी ई-रिक्शा की स्थिति सड़कों पर जस की तस है। यह भी कहा गया था कि ई-रिक्शा का दायां हिस्सा बंद कर दिया जाएगा, ताकि सवारियां केवल बाएं हिस्से का उपयोग बैठने और उतरने के लिए करें, जिससे यात्री सुरक्षित रहें। लेकिन यह कभी लागू नहीं किया गया।
ई-रिक्शा में केवल चार सवारियों की अनुमति है और इसे लोडिंग वाहन के रूप में उपयोग करने पर जब्त किया जा सकता है। सड़कों पर 100 में से 100 ई-रिक्शा चालक 5 या उससे अधिक सवारियां बैठाते हैं। 5-6 सवारियां बैठाकर निकलने पर स्थानीय पुलिस द्वारा भी अब उन्हें रोका नहीं जाता है। ई-रिक्शा का इस्तेमाल सुबह सब्जी मंडी से लेकर निर्माण स्थलों पर सीमेंट की बोरियां जैसी भारी सामग्री ढोने के लिए किया जा रहा है। कई बार तो ये सरिया जैसी लंबी और नुकीली वस्तुएं ले जाते देखे गए हैं, जो सड़क पर चल रहे अन्य लोगों को घायल कर सकती हैं।
सरकारी नियमों के अनुसार, ई-रिक्शा को पंजीकरण के साथ फिटनेस टेस्ट सर्टिफिकेट लेना होता है। साथ ही, हर दो साल में इसे नवीनीकृत कराना होता है। लेकिन फिटनेस टेस्ट सर्टिफिकेट लेने वाले ई-रिक्शा चालकों की संख्या 10% से भी कम है। अधिकांश ई-रिक्शा अंधेरे में सवारियों को लाते-ले जाते हैं, लेकिन उनकी हेडलाइट तक काम नहीं करती।
ई-रिक्शा चलाने के लिए चालक के पास अलग से लाइसेंस होना चाहिए। आवेदन उसी तरह होता है जैसे बाकी ड्राइविंग लाइसेंस का। लेकिन अधिकतर चालकों के पास लाइसेंस नहीं है। दिल्ली में इनके पास कमर्शियल लाइसेंस होना अनिवार्य है, लेकिन वहां भी स्थिति यही है कि नाम मात्र के ई-रिक्शा चालक कमर्शियल लाइसेंस के साथ ई-रिक्शा चला रहे हैं। इनमें से कई नाबालिग भी हो सकते हैं।
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुसार, इनका थर्ड पार्टी बीमा होना जरूरी है, लेकिन इसका पालन शायद ही होता हो। इनकी गति भी प्रशासन ने 25 किलोमीटर प्रति घंटा तय की है, लेकिन सभी ई-रिक्शा उससे ऊपर की गति पर चल सकते हैं क्योंकि किसी भी ई-रिक्शा में स्पीड गवर्नर नहीं है। प्रशासन भी ई-रिक्शा बेचने वाली कंपनियों को इसके लिए बाध्य नहीं कर रहा है। ई-रिक्शा के लिए यह नियम है कि ये किसी भी सूरत में हाईवे और दूसरे बड़े रास्तों पर नहीं चल सकते। लेकिन अक्सर ये हाईवे पर चलते हुए मिल जाते हैं। गलत दिशा में चलाना तो ई-रिक्शा वालों की कला का एक हिस्सा है, जिसके चलते कई लोग सड़क दुर्घटना में जान गंवा चुके हैं।
दिल्ली की 236 सड़कों पर ई-रिक्शा प्रतिबंधित हैं। अकेले 2024 में ई-रिक्शा वालों के 2,78,090 चालान काटे गए। बावजूद इसके ई-रिक्शा वालों पर कोई लगाम नहीं लग पाई है। जिन सड़कों पर ई-रिक्शा बैन हैं, उनमें से कुछ को छोड़ दें तो सभी पर इनका चलना जारी है। पुलिस के स्वभाव ने भी इन्हें मान्यता दे रखी है।
जिसके पास अपना वाहन नहीं है, उसके लिए ई-रिक्शा वरदान है। लेकिन चार पहिया वाहन मालिकों के लिए यह सिरदर्द है। ई-रिक्शा लास्ट माइल कनेक्टिविटी का एक बड़ा साधन है, जो सस्ता और प्रदूषण रहित भी है। लेकिन प्रशासन का ढुलमुल रवैया और चालकों की लापरवाही ने अब इसे समाधान से ज्यादा समस्या बना दिया है।
*राजधानी दिल्ली के पीरागाढ़ी चौक पर ई-रिक्शा का यहा आना जाना बिल्कुल बंद हैं फिर भी @dtptraffic और @MCD_Delhi की दुआओं से चल रही जिसके कारण यहा बहुत ही सुन्दर जाम लगा रहता है सोचा था कि @BJP4Delhi की सरकार आएगी तो कुछ समाधान होगा लेकिन पैसे के सामने सब बिकता है @gupta_rekha @ANI pic.twitter.com/WqeswWfQOg
— Delhi Roads problems (@D_R_P_7839) March 25, 2025
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